iGrain India - ब्रिसबेन । पिछले सप्ताह ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख दलहन उत्पादक क्षेत्रों में अच्छी बारिश होने से खेतों की मिटटी में नमी का अंश बढ़ गया और फसलों को काफी राहत मिली।
जिन इलाकों में अच्छी बारिश हुई उसमें न्यू साउथ वेल्स का दक्षिणी भाग, विक्टोरिया तथा साउथ ऑस्ट्रेलिया प्रान्त शामिल है जहां चना, मसूर एवं मटर की खेती बड़े पैमाने पर होती है। 31 जुलाई को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान इन उत्पादक क्षेत्रों में 5 से 25 मि०मी० तक बारिश रिकॉर्ड की गई।
सरकारी संस्था-अबारेस ने ऑस्ट्रेलिया में सामान्य औसत के मुकाबले अधिक वर्षा होने की 40 से 60 प्रतिशत संभावना व्यक्त की है जिससे फसलों को अच्छी प्रगति का सिलसिला जारी रहेगा और दलहन फसलों के अब तक के तीसरे सबसे बड़े उत्पादन के लिए खेतों की मिटटी में नमी का पर्याप्त अंश उपलब्ध रहेगा।
मालूम हो कि ऑस्ट्रेलिया संसार में देसी चना का सबसे प्रमुख तथा मसूर का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है। इसके अलावा वहां से मटर, फाबा बीन्स तथा ल्यूपिन जैसे दलहनों का भी अच्छा निर्यात होता है।
अबारेस ने इस बार 11.50 लाख टन चना तथा 16 लाख टन मसूर के उत्पादन का अनुमान लगाया है जबकि बिजाई क्षेत्र में हुई वृद्धि एवं मौसम तथा बारिश की अनुकूल स्थिति को देखते हुए उद्योग-व्यापार समीक्षकों का मानना है कि वास्तविक उत्पादन अबारेस के अनुमान से ज्यादा हो सकता है।
भारत में अब तक कनाडा से मसूर का भारी आयात हो रहा था जबकि अब देसी चना का आयात भी बड़े पैमाने पर शुरू हो गया है क्योंकि सरकार ने इस पर लगे 66 प्रतिशत के भारी भरकम सीमा शुल्क को 31 अक्टूबर 2024 तक स्थिगित कर दिया है।
ऑस्ट्रेलिया में दलहन फसलों की बिजाई समाप्त हो चुकी है और इसकी कटाई-तैयारी अक्टूबर से आरंभ हो जाएगी। वहां चना और मसूर की फसल काफी अच्छी हालत में बताई जा रही है।