iGrain India - हैदराबाद । केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि वर्तमान खरीफ सीजन में 2 अगस्त तक राष्ट्रीय स्तर पर मक्का का कुल उत्पादन क्षेत्र बढ़कर 82.25 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया जो पिछले साल की समान अवधि के बिजाई क्षेत्र 74.56 लाख हेक्टेयर से करीब 7.70 लाख हेक्टेयर या 10 प्रतिशत तथा पंचवर्षीय औसत क्षेत्रफल से 7 प्रतिशत अधिक है।
प्रमुख उत्पादक इलाकों में अभी तक मौसम एवं वर्षा की हालत अनुकूल बनी हुई है जिससे इसकी औसत उपज दर एवं पैदावार में अच्छी बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद की जा रही है।
आमतौर पर उत्पादन बेहतर होने से कीमतों पर दबाव पड़ने की संभावना रहती है मगर इस बार मक्का के मामले में या होना की उम्मीद की जा रही है।
आमतौर पर उत्पादन बेहतर होने से कीमतों पर दबाव पड़ने की संभावना रहती है मगर इस बार मक्का के मामले में ऐसा हुआ मुश्किल लगता है।
व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक मक्का का पिछला स्टॉक काफी कम रह गया है जबकि इसकी औद्योगिक मांग एवं खपत तेजी से बढ़ रही है।
इसे देखते हुए जब नई फसल की आवक शुरू होगी तब पशु आहार एवं पॉल्ट्री फीड उद्योग के साथ-साथ स्टार्च निर्माण में भी इसकी जोरदार मांग निकल सकती है।
इसके अलावा एथनॉल निर्माण उद्योग की जोरदार मांग की चुनौती भी रहेगी। एथनॉल निर्माता स्वयं अपने स्तर से मक्का खरीदने का हर संभव प्रयास करेंगे जबकि इसके लिए सरकारी एजेंसी भी इसकी खरीद की कोशिश कर सकती है। निर्यातक भी मक्का का स्टॉक बनाना चाहेंगे।
सरकार ने मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य पिछले साल से 6.5 प्रतिशत बढ़ाकर इस बार 2225 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है जबकि आपूर्ति का ऑफ सीजन तथा मांग मजबूत होने से इसका बाजार भाव ऊंचा चल रहा है।
मक्का के बाजार पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं इसलिए बेहतर उत्पादन के बावजूद इसका दाम घटने की संभावना बहुत कम है।