iGrain India - जकार्ता । इंडोनेशिया में फिलहाल बायोडीजल निर्माण में 35 प्रतिशत पाम तेल के उपयोग का नियम लागू है जबकि आगे पाम तेल के उपयोग का मिश्रण बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक पहुंचाने का प्लान है।
इसकी तैयारी के लिए वहां परीक्षण आरंभ हो गया है। इससे इंडोनेशिया को स्वदेशी प्रभाग में पाम तेल की खपत बढ़ाने और उद्योग पर विशाल अधिशेष स्टॉक का भार घटाने में सहायता मिलेगी।
समीक्षकों का कहना है कि इस नियम के लागू होने के बाद यदि घरेलू उत्पादन में अपेक्षित बढ़ोत्तरी नहीं हुई तो इंडोनेशिया से पाम तेल का निर्यात आंशिक रूप से प्रभावित हो सकता है।
वैसे भी इंडोनेशिया की सरकार क्रूड पाम तेल (सीपीओ) के बजाए प्रोसेस्ड पाम तेल तथा आरबीडी पामोलीन के निर्यात को ज्यादा प्रोत्साहित कर रही है।
उल्लेखनीय है कि इंडोनेशिया संसार पाम तेल का सबसे प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देश है जबकि भारत इसका सबसे बड़ा खरीदार बना हुआ है।
इंडोनेशिया बी 35 प्रोग्राम को लागू करने के बाद दुनिया के उन शीर्ष देशों की सूची में शामिल हो चुका है जहां बायोडीजल में वनपति तेलों का सर्वाधिक उपयोग किया जाता है।
निवर्तमान सरकार ने अगले साल तक बायोडीजल निर्माण में 40 प्रतिशत पाम तेल के उपयोग को सुनिश्चित करने हेतु बी 40 प्रोग्राम लागू करने का प्लान बनाया था। लेकिन फरवरी 2024 में हुए चुनाव में सत्ताधारी दल की हार हो गई और अब अक्टूबर में वहां नई सरकार का गठन होने वाला है।
नई सरकार एक कदम और आगे बढ़कर बायोडीजल में 50 प्रतिशत पाम तेल के उपयोग का नियम लागू करने का इरादा रखती है और उसके लिए आवश्यक तैयारी भी शुरू हो गई है।
वैसे बी 50 प्रोग्राम के लिए कोई समय सीमा निश्चित नहीं की गई है लेकिन समझा जाता है कि बायोडीजल में पाम तेल के उपयोग का स्तर क्रमिक रूप से बढ़ाया जाएगा।
इंडोनेशिया सरकार क्रूड खनिज तेल (पेट्रोलियम) के आयात में भारी कटौती करना चाहती है इसलिए बायोडीजल निर्माण में पाम तेल का मिश्रण नियमति रूप से बढ़ाने पर जोर दे रही है।