iGrain India - नई दिल्ली । घरेलू प्रभाग में आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतों में तेजी पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से केन्द्र सरकार ने 100 प्रतिशत टूटे चावल, गैर बासमती सफेद चावल, गेहूं तथा इसके मूल्य संवर्धित उत्पादों के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखा है जिससे वैश्विक खाद्यान्न बाजार में एक महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता देश के रूप में भारत की हैसियत काफी घट गई है।
यह सही है कि इन उपायों के जरिए सरकार ने देश में चावल तथा गेहूं के आयात की संभावना को काफी हद तक समाप्त कर दिया मगर साथ ही साथ निर्यात मोर्चे पर भारत की स्थिति काफी कमजोर भी पड़ गई।
चावल और गेहूं के साथ भारत से पिछले कुछ वर्षों के दौरान मक्का के निर्यात में भी अच्छी बढ़ोत्तरी हुई मगर घरेलू मांगे एवं जबरदस्त बढ़ोत्तरी होने तथा कीमत उछलने से न केवल इस वर्ष निर्यात बुरी तरह प्रभावित हो रहा है बल्कि विदेशों से मक्का के भारी आयात की आवश्यकता भी पड़ रही है।
टैरिफ रेट कोटा (टीआरक्यू) प्रणाली के तहत सरकार ने रियायती शुल्क पर 5 लाख टन गैर जीएम मक्का के आयात की अनुमति दे रखी है।
अमरीकी कृषि विभाग (उस्डा) के अनुसार घरेलू प्रभाग में आपूर्ति की स्थिति बेहतर रखने की नीति को प्राथमिकता दिए जाने के कारण पिछले तीन वर्षों से खाद्यान्न के निर्यात में भारत की भूमिका सीमित होती जा रही है।
वर्ष 2020-21 से 2023-24 के दौरान भारत से मक्का के निर्यात में 86 प्रतिशत गेहूं के शिपमेंट में 90 प्रतिशत तथा चावल के निर्यात में 20 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
वर्ष 2021-22 के मार्केटिंग सीजन में भारत से खाद्यान्न का रिकॉर्ड निर्यात हुआ था जिसके मुकाबले शिपमेंट की मात्रा घटकर अब करीब आधी रह गई है।
मक्का की खपत पहले पॉल्ट्री फीड एवं स्टार्च निर्माण में ज्यादा होता था जो अपनी जगह बरकरार है। इसके साथ अब एथनॉल उत्पादन में मक्के की मांग तेजी से बढ़ती जा रही है जिससे न केवल कीमतों में भारी तेजी का माहौल बन गया है बल्कि निर्यात योग्य स्टॉक में भी काफी कमी आ गई है।
सफेद गैर बासमती चावल एवं गेहूं के व्यापारिक निर्यात पर पूरी तरह प्रतिबंध लागू होने से निर्यात मोर्चे पर भारत की हैसियत बहुत कमजोर पड़ गई है। वैसे प्रतिबंधों के बावजूद भारत अब भी दुनिया में चावल का सबसे प्रमुख निर्यातक देश बना हुआ है।
एपीडा के आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान भारत से गैर बासमती बासमती का निर्यात तेजी से बढ़कर 177.80 लाख टन के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था जो वित्त वर्ष 2023-24 में घटकर 111.60 लाख टन पर सिमट गया।
इसी तरह गेहूं का निर्यात 72.30 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर से लुढ़ककर 1.90 लाख टन तथा मक्का का निर्यात 36.40 लाख टन से गिरकर 14.40 लाख टन अटक गया। 2024-25 के वित्त वर्ष में भी निर्यात घटने की संभावना है।