iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) में कटौती करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है।
आज से ठीक एक साल पूर्व अगस्त 2023 में सरकार ने बासमती चावल के लिए 1200 डॉलर प्रति टन का मेप निर्धारित किया था जिसे निर्यातकों की जोरदार मांग के बाद नवम्बर 2023 में घटाकर 950 डॉलर प्रति टन नियत कर दिया।
इससे प्रीमियम क्वालिटी के लम्बे दाने वाले बासमती चावल के निर्यात में शानदार बढ़ोत्तरी हुई। लेकिन अब निर्यातकों की समस्या पुनः बढ़ गई है और वे सरकार से इस मेप में 100-150 डॉलर की कटौती करने की मांग कर रहे हैं।
निर्यातकों के मुताबिक बासमती चावल की कुछ किस्मों का वैश्विक बाजार भाव घटकर इस न्यूनतम निर्यात मूल्य (950 डॉलर प्रति टन) से नीचे आ गया है जिससे उसके निर्यात में कठिनाई होने लगी है।
सरकार को या तो मेप की प्रणाली समाप्त कर देनी चाहिए या फिर इसमें अपेक्षित कटौती कर देनी चाहिए। चालू खरीफ सीजन के दौरान देश में बासमती चावल का बेहतर उत्पादन होने के आसार हैं।
उधर प्रमुख आयातक देशों में पहले खरीदे गए बासमती चावल का अच्छा खासा स्टॉक अभी मौजूद है इसलिए वहां ऊंचे दाम पर इसकी मांग कमजोर पड़ गई है।
जानकार सूत्रों के अनुसार हाल के समय में इस मुद्दे पर सरकार और निर्यातकों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है और अब मेप में कटौती के लिए सरकार के निर्णय का इंतजार किया जा रहा है जिसकी घोषणा शीघ्र ही होने की उम्मीद है।
पूसा बासमती 1509 धान की अगैती खेती वाली नई फसल की कटाई-तैयारी उत्तर प्रदेश में पहले ही शुरू हो चुकी है और मंडियों में इसका भाव 2500 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास चल रहा है जो गत वर्ष प्रचलित मूल्य 3000 रुपए प्रति क्विंटल से नीचे है।
अगले महीने के अंत तक प्रीमियम किस्म के पूसा 1121 बासमती धान की नई आवक भी शुरू होने की संभावना है जिससे उसकी कीमतों पर दबाव बढ़ सकता है और इसका दाम घटकर नीचे आ सकता है।
बासमती चावल का उत्पादन 2023-24 सीजन के 70 लाख टन की तुलना में 2024-25 सीजन के दौरान करीब 10 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है।
किसानों को पिछली फसल का ऊंचा एवं आकर्षक मूल्य प्राप्त हुआ इसलिए बासमती धान के क्षेत्रफल में इजाफा हो गया।
पंजाब में इसका रकबा गत वर्ष के 5.90 लाख हेक्टेयर से 12 प्रतिशत बढ़कर इस बार 6.70 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है।