iGrain India - नई दिल्ली । थोक मंडियों में घटती आपूर्ति एवं बढ़ती कीमतों को देखते हुए फ्लोर मिलर्स ने केन्द्रीय खाद्य मंत्रालय एवं भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) से खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत गेहूं की बिक्री यथाशीघ्र आरंभ करने का आग्रह किया है।
गेहूं का खुला बाजार भाव उछलकर पिछले करीब नौ माह के उच्च स्तर पर पहुंच गया है जबकि त्यौहारी सिआन में इसके और भी तेज होने की संभावना है। यदि सरकार ने अपने गोदामों से गेहूं का स्टॉक जल्दी से जल्दी नहीं उतारा तो गंभीर संकट पैदा हो सकता है।
दक्षिण भारत के फ्लोर मिलर्स को सरकार की नीति से भारी कठिनाई हो रही है क्योंकि वहां गेहूं का उत्पादन नहीं या नगण्य होता है।
मिलर्स के अनुसार गेहूं की आपूर्ति दिनों दिन घटती जा रही है और कुल मिलाकर आपूर्ति की स्थिति पिछले साल से भी बदतर नजर आ रही है।
सरकार को खुले बाजार में अपने स्टॉक से गेहूं उतारने में अब देर नहीं करनी चाहिए। मिलर्स के अनुसार गेहूं का भाव अप्रैल में 24000 रुपए प्रति टन चल रहा था जो अब उछलकर 28000 रुपए प्रति टन पर पहुंच गया है। आगे यह और भी बढ़ सकता है।
पिछले साल सरकार ने जून के अंतिम सप्ताह से ओएमएसएस के तहत गेहूं की साप्ताहिक ई-नीलामी शुरू की थी और जून 2023 से फरवरी 2024 के बीच लगभग 100 लाख टन गेहूं की बिक्री हो गई।
इससे पता चलता है कि फ्लोर मिलर्स / प्रोसेसर्स को गेहूं की कितनी भारी जरूरत थी। इस वर्ष भी उतनी या उससे अधिक आवश्यकता है और सरकार लम्बे समय तक इस हकीकत को नजर अंदाज नहीं कर सकती है।
खाद्य मंत्रालय पहले ही गेहूं की बिक्री शुरू करने की घोषणा कर चुका है और इसके न्यूनतम आरक्षित मूल्य का निर्धारण भी हो चुका है लेकिन अगस्त का तीसरा सप्ताह बीतने को आया है मगर अभी तक नीलामी की प्रक्रिया आरंभ नहीं हुई है।
गेहूं के आयात पर 40 प्रतिशत का भारी-भरकम सीमा शुल्क लगा हुआ है जिससे विदेशों से इसे मंगाना भी कठिन हो गया है। दक्षिण भारत के मिलर्स को अपनी क्षमता का इस्तेमाल घटना पड़ रहा है।