iGrain India - नई दिल्ली (भारती एग्री एप्प)। जुलाई में की गई घोषणा के बावजूद अब तक भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत गेहूं की साप्ताहिक ई-नीलामी की प्रक्रिया आरंभ नहीं किए जाने से इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न भाव काफी ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है।
प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों में गेहूं की सीमित आवक हो रही है और इसमें मिलर्स प्रोसेसर्स की भारी मांग बनी हुई है।
दक्षिण भारत के फ्लोर मिलर्स को ऊंचे दाम पर भी पर्याप्त मात्रा में गेहूं का स्टॉक प्राप्त नहीं हो रहा है जिससे उसकी क्षमता का इस्तेमाल बहुत कम हो रहा है।
गेहूं पर 44 प्रतिशत का भारी-भरकम आयात शुल्क लागू होने से विदेशों से इसे मंगाना आर्थिक दृष्टि से लाभप्रद साबित नहीं हो रहा है।
दक्षिणी भारत के कुछ मिलर्स द्वारा ऑस्ट्रेलिया से उच्च प्रोटीन युक्त बेहतर क्वालिटी के गेहूं का थोड़ा बहुत आयात किया गया मगर वह केवल भारतीय गेहूं के साथ मिलाने के उद्देश्य से मंगाया गया।
खाद्य मंत्रालय ने जुलाई में ही भारतीय खाद्य निगम को ओएमएसएस के तहत गेहूं की बिक्री आरंभ करने की स्वीकृति प्रदान कर दी थी और और उसका आरक्षित मूल्य (रिजर्व प्राइस) भी निर्धारित कर दिया था।
उस समय कहा गया था कि खाद्य मंत्रालय के साथ बातचीत करके एफसीआई गेहूं की बिक्री की मात्रा एवं तिथि का निर्धारण जल्दी ही करेगा
मगर अगस्त का तीसरा सप्ताह गुजरने के बावजूद अभी तक बिक्री की प्रक्रिया आरंभ नहीं होने से खुले बाजार पर कोई दबाव नहीं है। त्यौहारी सीजन में आटा के साथ-साथ मैदा एवं सूजी की मांग भी बहुत बढ़ जाती है इसलिए मिलर्स- प्रोसेसर्स गेहूं की खरीद में भारी दिलचस्पी दिखा रहे हैं।