iGrain India - कुआलालम्पुर । मलेशिया में ऑयल पाम सेक्टर की एक अग्रणी अनुसंधान एवं विकास कम्पनी के प्रमुख का कहना है कि भारत में पाम बागान के क्षेत्रफल का विकास-विस्तार होना तो संभव है लेकिन पाम तेल के उत्पादन को शीतकाल में भयंकर ठंड का सामना करना पड़ सकता है।
भारत में जाड़े का मौसम अत्यधिक ठंडा होता है जो पाम फलियों के विकास में बाधक बन सकता है। रिसर्च फर्म के अनुसार भारत में ऑयल पाम का औसत उपज दर महज 18-20 टन प्रति हेक्टेयर है। इसे बढ़ाने के लिए इस क्षेत्र में पर्याप्त पूंजी का निवेश करने की सख्त आवश्यकता है।
भारत में पाम कि उपज दर को वैश्विक औसत तक पहुंचाने के लिए गंभीर प्रयास की जरूरत है। यदि जाड़े की ठंड को बर्दाश्त करने लायक पाम की प्रजाति का विकास पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
अनुसंधान एवं विकास कम्पनी के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक का कहना है कि भारत के दक्षिणी भाग में उत्तरी क्षेत्र के मुकाबले कम ठड पड़ती है। तेलंगाना एवं आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में पाम का बागानी क्षेत्र बढ़ाया जा सकता है।
उद्योग समीक्षकों के मुताबिक पाम तेल दुनिया में सबसे सस्ता एवं सर्वाधिक उपयोग होने वाला वनस्पति तेल है। इसका इस्तेमाल खाद्य उद्देश्य के साथ-साथ कई अन्य वस्तुओं के निर्माण में भी होता है।
इंडोनेशिया तथा मलेशिया इसके दो सबसे बड़े निर्यातक एवं उत्पादक देश हैं जबकि भारत इसका सबसे प्रमुख आयातक है।
भारत में पाम तेल का उत्पादन बढ़ाने के लिए भरपूर चेस्टा की जा रही है और इसलिए सरकार ने योजना भी शुरू की है। लेकिन अभी इस दिशा में देश को मीलों का सफर तय करना है।