iGrain India - नई दिल्ली । समझा जाता है कि केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने स्वदेशी तिलहन उत्पादकों के हितों की रक्षा के लिए खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने का सुझाव दिया है
ताकि किसानों को अपने उत्पादों का कम से कम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) अवश्य प्राप्त हो सके और इसकी खेती में उसका उत्साह एवं आकर्षण बरकरार रहे। मंत्रालय को आशा है की इस सम्बन्ध में जल्दी ही सकारात्मक निर्णय लिया जाएगा।
वर्तमान समय में क्रूड पाम तेल, क्रूड डिगम्ड सोयाबीन तेल तथा क्रूड सूरजमुखी तेल पर 5.5 प्रतिशत का आयात शुल्क लागू है जिसमें सेस भी शामिल है।
इसी तरह रिफाइंड खाद्य तेल पर 13.75 प्रतिशत का सीमा शुल्क प्रभावी है। रिफाइंड खाद्य तेल के संवर्ग में भारत में मुख्यत: आरबीडी पामोलीन का आयात होता है।
स्वदेशी उद्योग संगठनों और खासकर सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी) द्वारा सरकार से बार-बार खाद्य तेलों के आयात पर सीमा शुल्क की दर में बढ़ोत्तरी करने का आग्रह किया जाता रहा है लेकिन सरकार अब तक इसे नजरअंदाज करती रही है।
उद्योग संगठनों के अनुसार क्रूड श्रेणी के खाद्य तेलों पर वस्तुतः शून्य शुल्क लागू है जो किसी देश के लिए अत्यन्त रेयर बात है।
जब तक सीमा शुल्क में बढ़ोत्तरी नहीं होती है तब तक तिलहनों की पैदावार बढ़ाने के लिए किसानों को प्रेरित-प्रोत्साहित करना मुश्किल है। केन्द्र सरकार द्वारा शीघ्र ही 6800 करोड़ रुपए वाले राष्ट्रीय तिलहन मिशन की घोषणा किए जाने की उम्मीद है।
समझा जाता है कि खाद्य मंत्रालय भी खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने के खिलाफ नहीं है क्यंकि वह भी चाहता है कि तिलहन उत्पादकों को अधिक से अधिक उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहन हासिल हो खरीफ कालीन तिलहन
फसलों और खासकर सोयाबीन तथा मूंगफली के नए माल की आवक अगले महीने से शुरू होने वाली है जबकि अक्टूबर से रबी सीजन की तिलहन फसलों और विशेषकर सरसों की बिजाई शुरू हो जाएगी।