iGrain India - मुम्बई । घरेलू प्रभाग में आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति जटिल रहने, बिजाई क्षेत्र में भारी गिरावट आने तथा नई फसल की तुड़ाई-तैयारी 15-20 दिन देर से शुरू होने की संभावना से रूई की कीमतों में कुछ सुधार आ गया।
व्यापार विश्लेषको के अनुसार आगामी दिनों में इसका भाव स्थिर तथा मजबूत रहने की संभावना है। दो शीर्ष उत्पादक राज्यों- गुजरात एवं महाराष्ट्र के कुछ भागों में भारी वर्षा होने तथा खेतों में पानी भर जाने से कपास की फसल को नुकसान होने की आशंका है।
पिछले एक पखवाड़े के दौरान रूई के स्पॉट मूल्य में 1500-2000 रुपए प्रति कैंडी (356 किलो) या 2.50-3.00 प्रतिशत का इजाफा दर्ज किया गया।
एक अग्रणी व्यापारिक संस्था- कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) के अनुसार थोक मंडियों में रूई की आवक काफी कम हो रही है।
इसकी मांग एवं आपूर्ति का समीकरण जटिल बना हुआ है और राष्ट्रीय स्तर पर बिजाई क्षेत्र में 10 लाख हेक्टेयर से अधिक की गिरावट आ गई है सितम्बर 2024 के अंत में जब मौजूदा मार्केटिंग सीजन समाप्त होगा तब रूई का कुल बकाया अधिशेष स्टॉक घटकर 20 लाख गांठ (170 किलो की प्रत्येक गांठ) के आसपास रह जाएगा।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ सीजन में कपास का उत्पादन क्षेत्र घटकर 111.40 लाख हेक्टेयर पर सिमट गया जो पिछले साल 122.75 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया था।
उधर न्यूयार्क एक्सचेंज में रूई का वायदा भाव 66.35 सेंट प्रति पौंड से बढ़कर 70.35 सेंट प्रति पौंड हो गया। इसका भी कुछ असर पड़ा है। 2024-25 के मार्केटिंग सीजन के दौरान कपास का घरेलू उत्पादन कम होने की प्रबल संभावना है।