नयी दिल्ली, 23 अप्रैल (आईएएनएस)। प्रवर्तन निदेशालय की जांच से पता चला है कि एंबियंस ग्रुप ने राष्ट्रीय राजधानी के शाहदरा इलाके में बनी लीला एंबियंस होटल परियोजना में निर्धारित 462 करोड़ रुपये का योगदान नहीं दिया है जबकि उसने इसी शर्त के साथ जम्मू कश्मीर बैंक की अगुवाई वाले कंसर्टियम से 810 करोड़ रुपये का ऋण प्राप्त किया था।एंबियंस ग्रुप की इस परियोजना की कुल लागत 1,272 करोड़ रुपये है, जिसमें 462 करोड़ रुपये का निवेश खुद ग्रुप को करना था और शेष 810 करोड़ रुपये बैंक कंसर्टियम से ऋण के रूप में लिया गया था।
इस बात का खुलासा एंबियंस ग्रुप के अध्यक्ष राज सिंह गहलोत की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान हुआ। गहलोग गत साल जुलाई से जेल में बंद हैं। उन्हें ईडी ने मनी लॉिंन्ंड्रग के मामले में गिरफ्तार किया है।
जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान यह पता चला कि एंबियंस ग्रुप ने ऋण प्राप्ति की जरूरी शर्त भी नहीं मानी और साथ ही बैंक से प्राप्त धन राशि कागजी कंपनियों के माध्यम से हेरफेर कर दीं।
यह सारा मामला 2006 से शुरू हुआ, जब एंबियंस ग्रुप की इकाई अमन हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड ने दिल्ली विकास प्राधिकरण से नीलामी में शाहदरा की कमर्शियल जमीन खरीदी। यह जमीन होटल बनाने के उद्देश्य के साथ ली गयी थी।
तकनीकी विश्लेषण के बाद इस परियोजना में 867 करोड़ रुपये लागत का अनुमान किया गया, जिसमें से 287 करोड़ रुपये प्रमोटर को देने थे और शेष 580 करोड़ रुपये बैंकों से ऋण के रूप में लेना था।
इसी विश्लेषण को लेकर एंबियंस ग्रुप 2009 में जम्मू कश्मीर बैंक की अंसल प्लाजा स्थित शाखा में पहुंचा। उसने उस वक्त 75 करोड़ रुपये का ऋण मांगा। बैंक गारंटी के रूप में 15 करोड़ रुपये की राशि थी।
बाद में एंबियंस ग्रुप ने अपनी रणनीति बदल दी। उसने निर्णय लिया कि अब दो छोटे होट बनाने के जगह एक बड़ा लग्जरी होटल बनाया जायेगा। इसके कारण लागत भी बढ़ गयी। इसके लिये फिर ग्रुप बैंक के पास गया।
अब बजट 1,272 करोड़ रुपये का था, जिसमें से प्रमोटर को 462 करोड़ रुपये लगाने थे और 810 करोड़ रुपये जम्मू कश्मीर की अगुवाई वाले बैंक कंसर्टियम ने दिये।
कंपनी ने जब ऋण राशि नहीं चुकायी तो कंसर्टियम ने ऋण का पुनर्गठन किया लेकिन फिर भी कंपनी डिफॉल्टर ही बनी रही। इसके कारण जम्मू कश्मीर बैंक ने कंपनी के खाते को 2018 में गैर निष्पादित परिसंपत्ति के रूप में घोषित कर दिया।
ईडी का कहना है कि 810 करोड़ रुपये में से 781 करोड़ रुपये की हेरफेर की गयी। इस राशि को 25 पार्टियों ने रिसीव किया, जो करार में शामिल भी नहंी थीं। उन्होंने इसे दो कंपनियों को ट्रांसफर किया, जिन्होंने आगे इसे एंबियंस ग्रुप की कंपनियों में ट्रांसफर कर दिया। वहां इस पैसे का इस्तेमाल ग्रुप के कर्ज चुकाने और अध्यक्ष, उसके परिवार और मित्रों के खर्च के मद में किया गया।
एंबियंस ग्रुप का जबकि कहना है कि ऋण राशि मिलने से पहले ही प्रमोटर्स ने 267.33 करोड़ रुपये होटल निर्माण में लगाये थे। इस होटल में 480 कमरे हैं, जो दस लाख वर्ग फुट में बने हैं। इसके अलावा 30,000 वर्गफुट का बैंक्वे ट हॉल बना हुआ है। होटल शुभारंभ के बाद से ही पूरी तरह काम कर रहा है।
ग्रुप का कहना है कि होटल भी बनकर तैयार हो गया और होटल संचालन में भी है, जिससे पता चलता है कि पैसों की कोई हेराफेरी नहंी हुई है।
अदालत ने लेकिन कहा कि पीएमएल के अनुच्छेद एक के मानकों के अनुसार इस बात के कोई सबूत नहीं मिलते हैं कि एंबियंस ग्रुप पैसों की हेराफेरी में शामिल नहीं है। प्रथम दृष्टतया इन आरोपों को देखकर यह नहीं कहा जा सकता है कि आरोपी जमानत पर रिहा होने के बाद ऐसा अपराध नहीं करेंगे। इसी कारण गहलोत की जमानत याचिका खारिज की जाती है।
--आईएएनएस
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