iGrain India - मिलर्स प्रोसेसर्स की मांग के अनुरूप गेहूं के दाम में बदलाव
नई दिल्ली। जुलाई में हुई घोषणा के बावजूद अभी तक भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा खुले बाजार बिक्री योजना के तहत गेहूं में साप्ताहिक ई-नीलामी की प्रक्रिया आरंभ नहीं गई है जबकि मिलर्स प्रोसेसर्स को खुले बाजार (थोक मंडी) से इसकी खरीद करनी पड़ रही है। मंडियों में गेहूं की सीमित आवक हो रही है और लिवाली के अनुरूप कीमतों में कहीं तेजी तो कहीं मंदी देखी जा रही है।
दिल्ली
7 से 13 सितम्बर वाले सप्ताह के दौरान दिल्ली में यूपी / राजस्थान के गेहूं का भाव 10 रुपए नरम पड़कर 2830/2840 रुपए प्रति क्विंटल रह गया।
गुजरात / एमपी
उधर गुजरात में गेहूं का दाम गोंडल में 100 रुपए तेज मगर राजकोट में 50 रुपए नरम रहा। दिल्ली में सपाह के शुरुआती तीन दिनों में 5500-6500 बोरी गेहूं की आवक हुई, उसके बाद दो दिनों तक 10-10 हजार बोरी की आपूर्ति हुई जबकि 13 सितम्बर को 6250 टन की आवक दर्ज की गई। मध्य प्रदेश की मंडियों में गेहूं के दाम में 100 रुपए की नरमी से लेकर 150 रुपए प्रति क्विंटल तक की तेजी दर्ज की गई।
राजस्थान
दूसरी ओर राजस्थान में गेहूं का भाव काफी हद तक स्थिर बना रहा। कोटा में यह 50 रुपए तेज हुआ। उत्तर प्रदेश की अधिकांश मंडियों में गेहूं की कीमतों में 15-20 रुपए की नरमी रही मगर मैनपुरी में भाव 60 रुपए बढ़कर 2610 रुपए प्रति क्विंटल हो गया। देशभर की तमाम प्रमुख थोक मंडियों में गेहूं का दाम सरकारी समर्थन मूल्य (2275 रुपए प्रति क्विंटल) से ऊपर चल रहा है।
भाव
व्यापारिक नजरिए से देखा जाए तो गेहूं का भाव कोई खास ऊंचा नहीं है मगर आज उपभोक्ताओं के लिए कुछ महंगा प्रतीत हो सकता है। देश के 80 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को प्रतिमाह 5 किलो गेहूं मुक्त में दिया जा रहा है इसलिए उस पर कोई असर नहीं पड़ेगा मगर जिसका राशनकार्ड नहीं बना है उसके लिए समस्या हो सकती है।
स्टॉक सीमा
सरकार गेहूं पर पहले ही स्टॉक सीमा लागू कर चुकी है जबकि इसके नियम को अब और सख्त बना दिया गया है। सरकारी स्टॉक से निकासी शुरू होने के बाद गेहूं के दाम पर कुछ दबाव पड़ सकता है। वैसे केन्द्रीय पूल में भी गेहूं का विशाल अधिशेष स्टॉक मौजूद नहीं है।