iGrain India - मुम्बई । एक अग्रणी विश्लेषक का कहना है कि चालू वर्ष के अंत तक क्रूड पाम तेल (सीपीओ) का वैश्विक बाजार भाव बढ़कर 4000 रिंगिट (79,000 रुपए) प्रति टन की सीमा को पार कर सकता है जबकि बीच की अवधि में यह 3700-3800 रिंगिट (73000-77000 रुपए) प्रति टन के बीच घूमता रहेगा। सीपीओ के मूल्य में तेजी-मजबूती का माहौल बरकरार रहने की उम्मीद है।
निर्यातक देशों में भाव उछलने पर भारत में सीपीओ का आयात स्वाभाविक रूप से पाम तेल का सबसे बड़ा आयातक देश है।
अन्य खाद्य तेलों पर भी आयात शुल्क में 20 प्रतिशत बिंदु का इजाफा किया गया है। इसमें सोयातेल एवं सूरजमुखी तेल भी शामिल है।
शुल्क वृद्धि के बाद अब क्रूड श्रेणी के खाद्य तेलों पर कुल 27.5 प्रतिशत का तथा रिफाइंड खाद्य तेलों पर 35.75 प्रतिशत का वास्तविक आयात शुल्क प्रभावी हो गया है।
विश्लेषक के अनुसार क्रूड पाम तेल की कीमत में होने वाली बढ़ोत्तरी का एक प्रमुख कारण इंडोनेशिया में प्रतिकूल मौसम की वजह से उत्पादन में गिरावट आना है।
मालूम हो कि इंडोनेशिया संसार में पाम तेल का सबसे बड़ा उत्पादक एवं निर्यातक देश है। वहां अगले साल (2025) से बी 40 कार्यक्रम लागू होने की संभावना है जिसके तहत बायोडीजल के निर्माण में 40 प्रतिशत पाम तेल का उपयोग करना आवश्यक हो जाएगा।
इसके लिए इंडोनेशिया में पर्याप्त क्षमता, तकनीकी दक्षता, वित्त व्यवस्था एवं उपभोक्ता बाजार उपलब्ध है। विश्लेषकों के मुताबिक यदि बायोडीजल निर्माण में 40 प्रतिशत पाम तेल के इस्तेमाल का नियम लागू हुआ तो इस मद में क्रूड पाम तेल की कुल वार्षिक खपत बढ़कर 150 लाख टन पर पहुंच सकती है। फिलहाल वहां बायोडीजल में 35 प्रतिशत पाम तेल के उपयोग का नियम प्रचलित है।
दूसरी ओर मलेशिया के सबसे प्रमुख उत्पादक प्रान्त- सबाह में चालू वर्ष की अंतिम तिमाही (अक्टूबर-दिसम्बर) के दौरान पाम तेल का उत्पादन बढ़कर पिछले चार साल के शीर्ष स्तर पर पहुंच जाने का अनुमान है जबकि मलेशिया में इसका कुल वर्षिक उत्पादन 185 लाख टन से 10 लाख टन बढ़कर 195 लाख टन पर पहुंचने की संभावना है।