iGrain India - नई दिल्ली । खरीफ कालीन मोटे अनाजों की बिजाई प्रक्रिया समाप्त होने के बाद अब फसल की प्रगति एवं कटाई-तैयारी पर सबका दिन केन्द्रित हो गया है। पिछले साल की तुलना में इस बार ज्वार, रागी एवं मक्का के बिजाई क्षेत्र में बढ़ोत्तरी हुई है मगर बाजरा का क्षेत्रफल कुछ पिछड़ गया है।
अगले महीने से इन जिंसों की आवक जोर पकड़ेगी और मंडियों में जोरदार आपूर्ति होने पर कीमतों में तेजी पर कुछ ब्रेक लग सकता है।
इसमें कोई शक नहीं कि मक्का की खरीद में इस बार पशु आहार, पॉल्ट्री फीड एवं स्टॉक निर्माताओं के साथ-साथ एथनॉल के डिस्टीलर्स भी काफी सक्रियता दिखाएंगे जिससे इसकी कीमतों में ज्यादा नरमी नहीं आएगी लेकिन यदि ज्वार-बाजरा का भाव नरम रहा तो इसका आंशिक असर मक्का के दाम पर भी पड़ सकता है।
जानकार सूत्रों के मुताबिक पिछले रबी सीजन के दौरान बिहार तथा उत्तर प्रदेश में मक्का की अच्छी पैदावार हुई लेकिन एथनॉल निर्मातओं की जोरदार लिवाली के कारण मार्केट में इसका अभाव बनने लगा।
एथनॉल निर्मातओं की मक्के में मांग 25-30 प्रतिशत बढ़ गई। बिहार के मक्का गोदामों में भी स्टॉक पूरा नहीं रह पाया।
उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा तथा राजस्थान सहित अन्य खपतकर्ता राज्यों में अब नए खरीफ कालीन मक्के पर खरीदारों की नजर टिकी हुई है। म्यांमार से मक्का का थोड़ा-बहुत आयात हुआ मगर बाजार भाव पर इसका कोई विशेष असर नहीं पड़ा।
जहां तक बाजरा का सवाल है तो इस वर्ष जायद (ग्रीष्मकालीन) सीजन के दौरान इसके उत्पादन में कुछ बढ़ोत्तरी हुई थी मगर मक्का एवं गेहूं का भाव ऊंचा रहने से खपतकर्ता उद्योगों में इसकी मांग बढ़ गए।
इससे अब मंडियों में इसकी भारी आवक का दबाव नहीं देखा जा रहा है। अगले 15-20 दिन में खरीफ कालीन नई फसल की आपूर्ति शुरू हो जाएगी। मांग तो मजबूत रहने की संभावना है लेकिन जोरदार आवक के कारण कुछ समय तक बाजार भाव स्थिर रह सकता है।