iGrain India - हैदराबाद । खाद्य तेलों पर बुनियादी आयात शुल्क में 20 प्रतिशत का इजाफा होने तथा बाजार भाव में तेजी आने से ऑयल पाम के ताजे फल के गुच्छे (फ्रेश फ्रूट बंच या एफएफबी) का दाम ऊंचा हो गया है जिससे भारतीय उत्पादकों को बेहतर वापसी हासिल होने लगी है।
इसके साथ ही उत्पादक चाहते हैं कि लाभ की यह स्थिति आगे भी बरकरार रहे और उसे 20,000 रुपए प्रति टन का निश्चित मूल्य अवश्य प्राप्त हो।
सरकार द्वारा क्रूड एवं रिफाइंड श्रेणी के खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में 20 प्रतिशत की वृद्धि किए जाने से एफएफबी के दाम में करीब 2500 रुपए प्रति टन का इजाफा हो गया है जिससे देश के ऑयल पाम उत्पादकों को काफी राहत मिल रही है।
पहले एफएफबी का दाम 14,390 रुपए प्रति टन के आसपास चल रहा था जो अब 2610 रुपए बढ़कर 17,000 रुपए प्रति टन पर पहुंच गया है।
यद्यपि एफएफबी के दाम में अकस्मात हुई इस वृद्धि से उत्पादक खुश हैं लेकिन उन्हें आगे इसमें गिरावट आने का डर सता रहा है।
ऑयल पाम के उत्पादकों का कहना है कि कीमतों में तेजी आने से किसानों को निश्चित रूप से फायदा होगा लेकिन यह तेजी बरकरार रहने में संदेह है।
यदि किसी दबाव या बाध्यता के कारण सरकार ने खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में वृद्धि को हटा या घटा दिया तो ऑयल पाम का दाम ऊंचे स्तर पर लम्बे समय तक नहीं टिक पाएगा।
सरकार का कहना है कि घरेलू प्रभाग में तिलहनों का दाम सुधरने तथा उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाया गया है।
यह सही भी है क्योंकि सरकारी निर्णय की घोषणा होने के बाद सोयाबीन के दाम में भी अच्छी तेजी आ गई है सरकार चाहती है कि किसानों को तिलहनों का लाभप्रद मूल्य हासिल हो।
ऑयल पाम का उत्पादन तेलंगाना तथा आंध्र प्रदेश में बड़े पैमाने पर होता है जबकि कुछ अन्य राज्यों में भी इसके बागान लगाए जा रहे हैं।
उत्पादकों का कहना है कि पाम के उत्पादन खर्च में भारी बढ़ोत्तरी हो गई है जबकि दूसरी ओर इसकी उपज दर में 40-50 प्रतिशत तक की कमी आ गई है। एक एकड़ में पहले करीब 10 टन पाम का उत्पादन होता था जो अब 5-6 टन पर सिमट गया है।