iGrain India - नई दिल्ली। आर्गेनिक उत्पादन पर राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीओपी) की प्रमुख संचालन एजेंसी तथा केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के अधीनस्थ निकाय - कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने अनियमितता एवं हेराफेरी का मामला सामने आने के बाद आर्गेनिक उत्पादों के लिए प्रमाण पत्र जारी करने वाली एक प्राधिकृत एजेंसी की मान्यता को स्थगित (सस्पेंड) कर दिया है। इसके साथ-साथ आर्गेनिक चावल के एक निर्यातक प्रतिष्ठान का लाइसेंस भी स्थगित किया है और दोनों पर 10-10 लाख रुपए का जुर्माना भी लगा दिया है।
उल्लेखनीय है कि पिछले वित्त वर्ष से ही भारत से आर्गेनिक चावल के निर्यात शिपमेंट में अनियमितता एवं हेराफेरी की शिकायतें सामने आ रही थी जब केंद्र सरकार ने गैर बासमती सफ़ेद चावल के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबन्ध तथा सेला चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगा दिया था। समझा जाता है कि सिक्किम की एक सर्टिफिकेशन एजेंसी तथा एक निर्यातक कंपनी की मान्यता स्थगित करने का निर्णय पिछले सप्ताह लिया गया। यह स्थगन एक वर्ष की अवधि का होगा और दोनों को 10-10 लाख रुपए का जुर्माना भी भरना पड़ेगा।
ध्यान देने की बात है कि निर्यातक कंपनी के चावल की एक खेप को कस्टम अधिकारीयों द्वारा अगस्त से ही रोक कर रखा गया है। इसके खिलाफ कंपनी ने गुजरात उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है जहाँ इस मामल की अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को होनी है। चार महीनों में यानी अप्रैल-जुलाई 2024 के दौरान 71,131 टन आर्गेनिक चावल का शिपमेंट किया गया जिसे मिलाकर इन चार महीनों में भारत से इसका कुल निर्यात बढ़कर 1,46,585 टन के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया जो वित्त वर्ष 2023-24 की सम्पूर्ण अवधि में हुए कुल निर्यात 1,07,727 टन से भी बहुत ज्यादा रहा। इसमें 1,27,120 लाख टन सफ़ेद चावल, 8 हजार टन से ज्याद टुकड़ी चावल तथा शेष भाग सेला चावल का शामिल था। इससे संदेह बढ़ना स्वाभाविक ही था।