iGrain India - कुआलालम्पुर। मलेशिया को उम्मीद है कि भारत सरकार द्वारा खाद्य तेलों पर बुनियादी आयात शुल्क में की गयी 20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी के बावजूद वहां पाम तेल की अच्छी मात्रा का आयात जारी रहेगा। मलेशिया के प्लान्टेशन एंड कमोडिटीज मंत्री ने कहा है कि भारत दुनिया का वनस्पति तेलों का सबसे प्रमुख खरीदार देश है और वहां पाम तेल के आयात की आवश्यकता बरकरार रहेगी। इसमें कोई मुद्दा नहीं है। पाम तेल की मांग बेहतर बनी हुई है। वस्तुतः पाम तेल का दाम बढ़कर 4000 रिंगिट प्रति टन से ऊपर पहुंच गया है लेकिन फिर भी इसकी मांग में कमी नहीं आई है।
कुआलालम्पुर स्थित बुर्सा मलेशिया डेरिवेटिव्स (बीएमडी) एक्सचेंज में जनवरी 2025 की डिलीवरी के लिए क्रूड पाम तेल (सीपीओ) का बेंचमार्क वायदा मूल्य बढ़कर 4226 रिंगिट प्रति टन पर पहुंच गया। इसी तरह चालू वर्ष के दौरान बुर्सा मलेशिया प्लांटेशन सूचकांक भी 3.6 प्रतिशत ऊंचा हो गया है।
प्लांटेशन (बागान) मंत्री के अनुसार चालू वर्ष के दौरान अब तक की स्थिति को देखते हुए मलेशिया में पाम तेल का कुल उत्पादन बढ़कर 190 लाख टन से ऊपर पहुंच जाने का अनुमान है जो वर्ष 2000 के बाद का सबसे ऊंचा उत्पादन होगा। जनवरी से अगस्त 2024 के आठ महीनों के दौरान मलेशिया में करीब 126 लाख टन पाम तेल का उत्पादन हुआ जो पिछले साल की समानअवधि के उत्पादन से 10.2 प्रतिशत अधिक रहा। मंत्री महोदय के मुताबिक सरकार की स्थिर एवं निश्चित नीतियों तथा प्रमुख चुनौतियों को दूर करने के संकल्प के कारण पाम तेल के उत्पादन में बढ़ोत्तरी का सिलसिला जारी है। श्रमिकों की समस्या को भी काफी हद तक दूर कर दिया गया है।
पिछले महीने मलेशियन पाम आयल बोर्ड (एम्पोब) के महानिदेशक ने कहा था कि यद्यपि भरता सरकार ने अपने तिलहन उत्पादक किसानों के हितों की रक्षा के लिए पाम तेल सहित अन्य खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में 20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी का निर्णय लिया है लेकिन इसका भारतीय बाजार में मलेशिया पाम तेल की प्रतिस्पर्धी क्षमता पर कोई उल्लेखनीय असर नहीं पड़ेगा और भारत नियमित रूप से मलेशियाई पाम तेल की खरीद करता रहेगा।