iGrain India - जकार्ता । दक्षिण पूर्व एशिया के तीनों प्रमुख पाम तेल उत्पादक एवं निर्यातक देश- इंडोनेशिया मलेशिया एवं थाईलैंड में ऑयल पाम के बड़े-बड़े बागान लगे हुए हैं मगर उसमें पुराने पेड़ो की संख्या ज्यादा बताई जा रही है जिसकी उत्पादकता शक्ति क्षीण पड़ने लगी है।
नए बागान लगाने के लिए जगह ज्यादा नहीं है जबकि पुराने बागानों में नए पौधे लगाने की गति धीमी देखी जा रही है। इससे भविष्य में वहां पाम तेल के उत्पादन में गिरावट आने की आशंका है।
वैश्विक खाद्य तेल बाजार में सबसे अधिक कारोबार पाम तेल का ही होता है इसलिए यदि उत्पादक एवं निर्यातक देशों में उत्पादन घटता है तो इससे सोयाबीन तेल सूरजमुखी तेल एवं रेपसीड कैनोला तेल की मांग एवं खपत बढ़ने का बेहतर आधार तैयार हो सकता है।
व्यापार विश्लेषको के अनुसार मलेशिया के बागानों में 27 प्रतिशत पाम के पेड़ की उम्र 20 साल या उससे ज्यादा है जबकि ज्यादा लम्बे पेड़ों से पाम फली को तोड़ना भी कठिन होता है।
इससे मलेशियाई पाम तेल उद्योग के समक्ष समस्या और चुनौती उत्पन्न हो सकती है। मलेशिया दुनिया में पाम तेल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक एवं निर्यातक देश है और बीएमडी एक्सचेंज में प्रचलित भाग को सीपीओ का वैश्विक बेंचमार्क वायदा मूल्य माना जाता है।
वहां पुराने पेड़ों की बढ़ती संख्या को देखते हुए ऑयल पाम तथा पाम तेल का उत्पादन घटने का खतरा है। मलेशिया में करीब 37 लाख एकड़ क्षेत्र के बागानों में 20 वर्ष या उससे अधिक आयु वाले पाम के पेड़ लगे हुए हैं जो देश के कुल बागानी क्षेत्रफल का लगभग 27 प्रतिशत है।
आमतौर पर 15-17 वर्ष तक पाम के पेड़ से बेहतर उत्पादन प्राप्त होता है और उसके बाद उन पेड़ों पर लगने वाली फलियों की संख्या घटने लगती हैं।
विषेशज्ञों के मुताबिक ऑयल पाम की उपज दर में आने वाली गिरावट को रोकने के लिए मलेशिया में तत्काल आवश्यक कदम उठाए जाने की सख्त आवश्यकता है।
इसके अलावा मशीनीकरण समाधान पर भी जोर देना पड़ेगा क्योंकि लम्बे-लम्बे पेड़ों से पाम फली की तुड़ाई करना आसान काम नहीं होता है। उसमें ताजे फसलों के गुच्छे (एफएफबी) की संख्या भी कम होती है।
वर्ष 2023 के दौरान मलेशिया में 25 साल से अधिक पुराने पेड़ों के बागान क्षेत्रफल करीब 15.40 लाख एकड़ आंका गया था जिसमें से केवल 3.24 लाख एकड़ में ही नए पौधे लगाए गए थे।
वर्ष 2027 तक ऐसे बागानों का क्षेत्रफल बढ़कर 50 लाख एकड़ या कुल क्षेत्रफल के 35 प्रतिशत तक पहुंच जाने का अनुमान है। अगर जल्दी से जल्दी इस समस्या को दूर नहीं किया गया तो वहां पाम तेल के उत्पादन में गिरावट का सिलसिला आरंभ हो सकता है जबकि चालू वर्ष के दौरान उत्पादन बढ़ने के आसार हैं।