iGrain India - मुम्बई ऑस्ट्रेलिया में पहले 2024-25 के मार्केटिंग सीजन में 16-17 लाख टन मसूर का उत्पादन होने का अनुमान लगाया जा रहा था लेकिन अगस्त-सितम्बर के अत्यन्त प्रतिकूल मौसम से फसल को हुई भारी क्षति को देखते हुए अब वहां उत्पादन घटकर 10 लाख टन के आसपास सिमट जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
दूसरी ओर कनाडा में इस महत्वपूर्ण दलहन के उत्पादन में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है जिससे उसके निर्यातकों को वैश्विक निर्यात बाजार में ज्यादा सख्त चुनौती का सामना नहीं करना पड़ेगा।
लेकिन कनाडा और ऑस्ट्रेलिया- दोनों को काला सागर क्षेत्र के देशों और खासकर कजाकिस्तान तथा रूस की कठिन प्रतिस्पर्धा झेलनी पड़ सकती है।
मोटे अनुमान के अनुसार इस बार कजाकिस्तान से 2.50 लाख टन तथा रूस से एक लाख टन मसूर का निर्यात हो सकता है। इन देशों की मसूर अपेक्षाकृत सस्ते दाम पर उपलब्ध रहती है।
कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के मसूर निर्यातकों का ध्यान भारतीय बाजार पर केन्द्रित है लेकिन वर्तमान हालात को देखते हुए लगता है कि भारत में आयात काफी घट सकता है।
मोटे अनुमान के मुताबिक सरकारी एजेंसी- नैफेड के पास लगभग 8 लाख टन मसूर का विशाल स्टॉक मौजूद है जिसे सही समय पर घरेलू बाजार में उतारा जा सकता है।
मसूर की बिजाई का सीजन औपचारिक तौर पर आरंभ हो चुका है जबकि इसका भाव एक निश्चित सीमा में स्थिर बना हुआ है। शीघ्र ही मसूर सहित अन्य रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा होने वाली है।
मसूर के एमएसपी में 6 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी किए जाने की संभावना है। भारत में मसूर का आयात घटकर यदि 8 लाख टन से कम रहता है तो ऑस्ट्रेलिया एवं कनाडा के निर्यातकों को अन्य बाजारों में शिपमेंट बढ़ाने का जोरदार प्रयास करना होगा जिससे उसके बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि काला सागर क्षेत्र की चुनौती तथा भारत में कमजोर आयात की संभावना के साथ मसूर की कीमतों के मोर्चें पर कनाडा तथा ऑस्टेलिया के उत्पादकों एवं निर्यातकों द्वारा किस तरह की रणनीति बनाई जाती है।