iGrain India - नई दिल्ली । घरेलू बाजार भाव ऊंचा होने से चालू रबी सीजन के दौरान किसानों को गेहूं, चना एवं सरसों जैसी मुख्य फसलों का बिजाई क्षेत्र बढ़ाने का अच्छा प्रोत्साहन मिल सकता है जबकि अगर इसके न्यूनतम समर्थन मूल्य में अच्छी बढ़ोत्तरी की गई तो वह उत्पादकों के लिए एक अतिरिक्त आकर्षण होगा।
गेहूं और चना का घरेलू बाजार भाव लम्बे समय से न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊपर चल रहा है जबकि सरसों की कीमतों में भी हाल के महीनों में तेजी आई थी।
इसके साथ-साथ मसूर का रकबा बढ़ाने पर भी जोर दिया जा सकता है लेकिन इसका भाव अन्य फसलों की तुलना में कम तेजी से बढ़ा है।
गेहूं के आयात पर 44 प्रतिशत का भारी-भरकम सीमा शुल्क लगा हुआ है जिससे इसे विदेशों से मंगाना आर्थिक दृष्टि से लाभप्रद नहीं माना जाता है। वैसे भी अब वैश्विक बाजार में गेहूं का दाम मजबूत होने लगा है।
खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में हुई 20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी से सरसों के बाजार को समर्थन मिल सकता है। हालांकि सरकार ने देसी चना के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दे रखी है मगर वैश्विक बाजर में अभी इसका ज्यादा स्टॉक मौजूद नहीं है।
इसके फलस्वरूप कम मात्रा में इसका आयात हो रहा है। सरकार के पास मसूर तथा घरेलू प्रभाग में पीली मटर का विशाल स्टॉक मौजूद है जिससे इसके बाजार भाव में ज्यादा तेजी नहीं देखी जा रही है। गेहूं की खेती के प्रति किसानों का उत्साह एवं आकर्षण बढ़ने के आसार है। समर्थन मूल्य पर सबकी नजर है।