iGrain India - मुम्बई । बिजाई क्षेत्र में कमी एवं बाढ़-वर्षा जैसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रकोप से फसल को हुई क्षति के कारण 2024-25 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन के दौरान कपास के घरेलू उत्पादन में गिरावट आने की संभावना है।
अमरीकी कृषि विभाग (उस्डा) ने भारत में कपास के उत्पादन का अनुमान घटाकर 307.20 लाख गांठ तथा अंतिम बकाया स्टॉक का अनुमान 123.80 लाख गांठ निर्धारित किया है।
कई क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा एवं जलजमाव होने तथा कीड़ों-रोगों का प्रकोप रहने से कपास की फसल क्षतिग्रस्त हो गई। राष्ट्रीय स्तर पर कपास का बिजाई क्षेत्र भी गत वर्ष की तुलना में 8 प्रतिशत घटकर इस बार 110.49 लाख हेक्टेयर पर सिमट गया क्योंकि किसानों ने अन्य ऐसी फसलों का क्षेत्रफल बढ़ा दिया जिसका बाजार भाव ऊंचा चल रहा था।
इसके बावजूद रूई के दाम में अभी तक सीमित बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। पिछले दिन इसका भाव 0.25 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 56,950 रुपए प्रति कैंडी (356 किलो) पर पहुंचा।
फिलहाल रूई की मांग कमजोर बनी हुई है और निर्यात की गतिविधि सामान्य से कम है। वैसे कुछ समीक्षकों का मानना है कि चालू सीजन के दौरान कुल मिलाकर कपास का उत्पादन पिछले सीजन के लगभग बराबर ही रह सकता है क्योंकि बची हुई फसल की हालत काफी अच्छी है और इसकी औसत उपज दर में बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है।
इसके आलवा इस बार फसल पर कीड़ों-रोगों का आघात भी कम देखा जा रहा है जिससे उत्पादकता एवं क्वालिटी की स्थिति बेहतर रहेगी।
लेकिन महाराष्ट्र एवं गुजरात जैसे राज्यों में कपास की फसल की तुड़ाई-तैयारी में करीब एक महीने की देर हो गई। 2023-24 के पूरे मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) के दौरान देश से लगभग 28 लाख गांठ रूई का निर्यात होने का अनुमान है जो 2022-23 सीजन के कुल शिपमेंट 15.50 लाख गांठ से काफी अधिक है। आगे कीमतों में कुछ सुधार आ सकता है।