iGrain India - ब्रिसबेन । मध्यवर्ती क्वींसलैंड प्रान्त में चना की नई फसल की कटाई तैयारी शुरू हो गई है और वहां इसकी लोडिंग की बुकिंग भी हो गई है।
समझा जाता है कि चालू माह में ही वहां से नए चने की खेप ऑस्ट्रेलियाई बंदरगाह पर पहुंचेगी जिसे पाकिस्तान, बांग्ला देश तथा भारत जैसे आयातक देशों के लिए रवाना किया जा सकता है।
जनवरी 2025 तक के शिपमेंट के लिए अनेक कार्गो की बुकिंग हो चुकी है। फिलहाल पाकिस्तान के आयातक ज्यादा सक्रिय हैं जबकि भारतीय खरीदार चना की खरीद में कम दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
रमजान का महीना इस बार फरवरी के अंतिम दिनों में शुरू होने वाला है जबकि भारत में दलहनों के शुल्क मुक्त आयात की समयसीमा मार्च 2025 में समाप्त हो जाएगी।
इसका मतलब यह है कि दक्षिण एशियाई देशों की जोरदार मांग को पूरा करने के लिए ऑस्ट्रेलियाई चना निर्यातकों को जनवरी 2025 तक अपने जहाजों को इन देशों के लिए रवाना करना आवश्यक होगा।
एक और खास बात यह है कि फरवरी-मार्च में भारत में नए चने की आवक शुरू हो जाती है। यदि शिपमेंट में देरी की आशंका पैदा हुई तो चना आयात के प्रति भारतीय आयातकों का उत्साह एवं आकर्षण काफी घट सकता है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार क्वींसलैंड से पाकिस्तान को दिसम्बर में शिपमेंट के लिए चना का सीएफआर मूल्य 807 अमरीकी डॉलर तथा जनवरी शिपमेंट के लिए 750 डॉलर प्रति टन चल रहा है।
क्वींसलैंड प्रान्त में चना की लगभग 20 प्रतिशत फसल की कटाई-तैयारी पूरी हो चुकी है। उत्पादकों को उम्मीद है कि चना का भाव 1000 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर प्रति टन से ऊपर रहेगा।
क्वींसलैंड के दिसावरी बाजारों तथा न्यू साउथ वेल्स प्रान्त के डिपो में चना का भाव 920-940 डॉलर प्रति टन के बीच बताया जा रहा है।
चूंकि बंदरगाहों पर भाव ऊंचा है इसलिए उत्पादकों को मंडियाँ में बिक्री करने के बजाए ट्रकों से अपने चना के स्टॉक को सीधे निर्यात टर्मिनल तक पहुंचाने का प्रोत्साहन मिल रहा है।
उत्पादकों द्वारा बिक्री की गति धीमी रखे जाने से खरीदारों पर भाव बढ़ाने का दबाव पड़ रहा है। ब्रिसबेन बंदरगाह तक डिलीवरी के लिए चना का भाव 1060 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गया है जो वेस्टर्न डाउन्स क्षेत्र में 990 डॉलर प्रति टन है। कंटेनरों में पैकर्स के लिए इसका खर्च 1025 डॉलर प्रति टन बैठ रहा है।