iGrain India - बैंकॉक । सामान्य श्रेणी के सफेद (कच्चे) चावल के वैश्विक निर्यात बाजार से लम्बे समय तक भारत के दूर रहने के कारण थाईलैंड को अपने चावल का निर्यात बढ़ाने का अच्छा अवसर मिल गया और इसलिए चालू वर्ष के अंत तक वहां से पिछले साल के मुकाबले अधिक मात्रा में चावल का शिपमेंट होने की उम्मीद है।
थाई राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष को भरोसा है कि बाढ़ का संकट होने के बावजूद चावल का निर्यात प्रदर्शन बेहतर रहेगा चावल के उत्पादन पर बाढ़ के असर की तस्वीर अभी पूरी तरह स्पष्ट नहीं हो पाई है।
देश के सबसे महत्वपूर्ण चावल उत्पादक संभाग- पूर्वोतर क्षेत्र में धान की फसल इस बाढ़ से ज्यादा प्रभावित नहीं हुई है। एसोसिएशन के अनुसार पिछले साल थाईलैंड में करीब 320 लाख टन धान का उत्पादन हुआ था जबकि चालू वर्ष में यह बढ़कर 330-340 लाख टन तक पहुंच जाने का अनुमान है।
हालांकि उत्तरी क्षेत्र के निचले इलाकों में भारी वर्षा एवं बाढ़ से धान की फसल आंशिक रूप से प्रभावित होने की आशंका है लेकिन जब बाढ़ का पानी उतरेगा तब फसल की हालत काफी हद तक सामान्य हो सकती है।
वहां खासकर जास्मीन चावल का उत्पादन प्रभावित हो सकता था यदि इसके प्रमुख उत्पादक प्रान्त उबोन में बाढ़ का ज्यादा गंभीर प्रकोप होता।
एसोसिएशन के अनुसार चालू वर्ष के शुरूआती नौ महीनों में यानी जनवरी से सितम्बर 2024 के दौरान थाईलैंड से करीब 70 लाख टन चावल का निर्यात हुआ जबकि इसके पास अभी कुछ और आर्डर हैं।
लेकिन अब भारत के वापस लौटने से उसके मार्ग में कठिनाई पैदा हो सकती है और खासकर अगले साल चावल का निर्यात प्रदर्शन कमजोर रह सकता है।
भारत की अनुपस्थिति में थाईलैंड ने चावल का निर्यात ऑफर मूल्य काफी बढ़ा दिया था और इसके बावजूद वहां से इसका अच्छा निर्यात हुआ। लेकिन अब निर्यात ऑफर मूल्य में कमी आने लगी है क्योंकि भारत का सफेद चावल उससे कम दाम पर उपलब्ध है।