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सफेद चावल पर मेप तथा सेला चावल पर सीमा शुल्क हटने से चावल का तेजी से बढ़ेगा निर्यात

प्रकाशित 19/10/2024, 07:14 pm
सफेद चावल पर मेप तथा सेला चावल पर सीमा शुल्क हटने से चावल का तेजी से बढ़ेगा निर्यात
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iGrain India - नई दिल्ली । ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि चावल के निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार कुछ और कदम उठाते हुए अपनी नीति को उदार बना रही है।

समझा जाता है कि केन्द्र सरकार ने गैर बासमती संवर्ग के सफेद (कच्चे) चावल के लिए नियत 490 डॉलर प्रति टन के न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) तथा सेला चावल के लिए लागू 10 प्रतिशत के निर्यात शुल्क को वापस लेने का फैसला किया है और इस आशय की अधिसूचना भी जल्दी ही जारी होने की संभावना है। यह निर्णय उच्च स्तरीय अंतर-मंत्रालयी पैनल द्वारा किया गया है।

व्यापार विश्लेषकों का मानना है कि अगर यह निर्णय लागू हुआ तो भारत से चावल के निर्यात में जबरदस्त इजाफा हो सकता है क्योंकि भारतीय निर्यातकों को अपने चावल का निर्यात ऑफर मूल्य आकर्षक या प्रतिस्पर्धी स्तर पर रखने का अवसर मिल जाएगा और इसकी खरीद में आयातक देशों की दिलचस्पी तेजी से बढ़ जाएगी।

सरकार के पास चावल का भारी-भरकम अधिशेष स्टॉक मौजूद है इसलिए उसे केन्द्रीय पूल के लिए विशाल मात्रा में इसकी खरीद करने में कठिनाई हो सकती है।

सरकार चाहती है कि मिलर्स और निर्यातक अधिक से अधिक मात्रा में किसानों से धान की खरीद करे। यह तभी संभव हो सकता है जब निर्यातकों को चावल का निर्यात करने की पूरी स्वतंत्रता हासिल हो। संभवतः यही कारण है कि सरकार ने मेप एवं सीमा शुल्क को वापस लेने का सैद्धांतिक निर्णय लिया है। 

सरकारी गोदामों में चावल के सुरक्षित भंडारण के लिए पर्याप्त जगह नहीं है जबकि चालू खरीफ सीजन के दौरान धान-चावल का घरेलू उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है।

सरकार ने चावल की खरीद का लक्ष्य भी पिछले साल के 521.27 लाख टन से घटाकर इस बार 485.11 लाख टन नियत किया है। खाद्य निगम को खासकर पंजाब में चावल के भंडारण का गंभीर संकट झेलना पड़ रहा है। अक्टूबर के शुरूआती 15 दिनों में चावल की खरीद करीब 48 प्रतिशत घट गई। 

उल्लेखनीय है कि चालू सप्ताह के आरंभ में भारतीय चावल निर्यातक महासंघ के प्रतिनिधियों में केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री से मुलाकात करके मेप तथा सीमा शुल्क को हटाने का आग्रह किया था क्योंकि पाकिस्तान सहित अन्य प्रतिद्वंदी देशों की चुनौती एवं प्रतिस्पर्धा का सामना करने में भारतीय निर्यातकों को कठिनाई हो रही थी।

5 प्रतिशत टूटे भारतीय सफेद चावल का फ्री ऑन बोर्ड निर्यात ऑफर मूल्य 488-492 डॉलर प्रति टन चल रहा है जबकि इसी श्रेणी के पाकिस्तानी चावल का भाव 481-485 डॉलर प्रति टन है।

इसी तरह 25 प्रतिशत टूटे भारतीय सफेद चावल का दाम 481-485 डॉलर तथा पाकिस्तानी चावल का मूल्य 440-444 डॉलर प्रति टन बताया जा रहा है। लेकिन दो मुख्य प्रतिद्वंदी- थाईलैंड और वियतनाम में चावल का निर्यात भाव 500 डॉलर प्रति टन से ऊपर है। 

लेकिन 10 प्रतिशत का सीमा शुल्क लागू होने के बावजूद भारतीय सेला चावल का भाव अभी सबसे ज्यादा आकर्षक है। इसका भाव 490-494 डॉलर प्रति टन तथा पाकिस्तानी सेला चावल का निर्यात ऑफर मूल्य 500-504 डॉलर प्रति टन चल रहा है। 

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