iGrain India - नई दिल्ली । क्षेत्रफल में बढ़ोत्तरी होने तथा मानसून की अच्छी बारिश का सहारा मिलने से वर्तमान खरीफ मार्केटिंग सीजन के दौरान धान चावल का घरेलू उत्पादन बेहतर होने के आसार हैं।
इससे निर्यात उद्देश्य के लिए चावल का अधिक स्टॉक उपलब्ध हो सकता है। इधर सरकार ने गैर बासमती चावल के व्यापारिक निर्यातक नियंत्रण मुक्त कर दिया है और सेला चावल पर निर्यात शुल्क को 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत नियत कर दिया है।
सफेद चावल के लिए 490 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) लागू किया गया है जबकि बासमती चावल पर लागू 950 डॉलर प्रति टन के मेप को हटा दिया गया है।
सुनने में आ रहा है कि सफेद चावल पर लागू मेप तथा सेला चावल पर लगे निर्यात शुल्क को भी जल्दी समाप्त किया जा सकता है। इसके बाद चावल पर निर्यात शुल्क पूरी तरह समाप्त हो जाएगा और कोई मेप भी लागू नहीं रहेगा।
उसके फलस्वरूप वैश्विक निर्यात बाजार में एक बार फिर भारतीय चावल की प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ जाएगी और इसकी खरीद में विदेशी आयातकों का उत्साह एवं आकर्षण बढ़ जाएगा।
चूंकि केन्द्रीय पूल में चावल का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है और नए धान की सरकारी खरीद आरंभ हो चुकी है जो लगातार बढ़ती जाएगी इसलिए चावल का सरकारी स्टॉक भी बढ़ जाएगा।
सरकार चावल का निर्यात बढ़ाने पर जोर दे रही है ताकि किसानों से धान की खरीद बढ़ाने में मिलर्स एवं निर्यातकों को प्रोत्साहन मिल सके।
भारत सरकार की इस उदार नीति से भारत न केवल वैश्विक निर्यात बाजार में अपना खोया हुआ स्थान दोबारा हासिल कर लेगा बल्कि थाईलैंड, वियतनाम एवं पाकिस्तान सहित अन्य निर्यातक देशों की मुसीबत भी बढ़ा देगा। आगामी महीनों के दौरान भारत से चावल का शानदार निर्यात होने की उम्मीद है।