iGrain India - कुआलालम्पुर । ओराना गुटान्स, मलयन बाघ एवं हाथी की तेजी से घटती जनसंख्या पर पश्चिमी देशों की घोर आलोचना को देखते हुए मलेशिया अब भारत सहित अन्य एशियाई देशों और अफ्रीकी राष्ट्रों के साथ पाम तेल व्यापार को बढ़ाने के लिए प्रयास कर रहा है।
मलेशिया के बागान मंत्रालय तथा मलेशियन पाम ऑयल कौंसिल (एम्पोक) ने कहा है कि ऑयल पाम की खेती से छोटे-छोटे किसानों की आमदनी बढ़ी है और सरकार देश की बायो डायवर्सिटी की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
बागान मंत्री के अनुसार पाम तेल उद्योग एवं व्यापार क्षेत्र को असंख्य चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जिसमें केवल घरेलू चुनौतियां ही शामिल नहीं है बल्कि बाहरी बाधाएं भी सम्मिलित हैं।
लेकिन मलेशिया सरकार इन चुनौतियों को अवसरों में बदलने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि पाम तेल क्षेत्र का सतत विकास सुनिश्चित हो सके।
दरअसल यूरोपीय संघ 30 दिसम्बर 2025 को डिकॉरेस्टेशन रेग्युलेशन लागू करने की योजना बना रहा है जिसके तहत मलेशिया पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा।
ताकि वहां सस्टेनेबल कृषि पद्धति को सुनिश्चित किया जा सके। यूरोपीय संघ का मानना है कि मलेशिया में पाम बागानों के विकास-विस्तार के लिए जंगलों को साफ किया जा रहा है जिससे वन्य जीवों का आश्रम सिमटने लगा है और उसकी संख्या घटती जा रही है। इसके अलावा कृषि योग्य भूमि पर पाम के बागान लगाए जा रहे हैं जिससे किसानों की आजीविका प्रभावित हो रही है।
इसके खिलाफ कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। यूरपीय संघ इन नए बागानों में उत्पादित पाम से निर्मित तेल के आयात को नियंत्रित या प्रतिबंधित करने का प्लान बना रहा है और 30 दिसम्बर 2025 को लागू होने वाला रेग्युलेशन उसी प्रक्रिया या प्लान का एक हिस्सा है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार मलाया बाघ की संख्या नब्बे के दशक में करीब 3000 थी जो वर्ष 2020 में घटकर 150 से भी कम रह गई। हाथियों की संख्या भी घटकर 2000 के आसपास रह गई है।
ओरान गुटान की आबादी 11 से 15 हजार के बीच बताई जा रही है। यूरोपीय संघ मलेशियाई पाम तेल का एक महत्वपूर्ण खरीदार है और वहां इसका निर्यात सीमित या बंद होने पर मलेशिया को झटका लग सकता है इसलिए वह नए-नए बाजारों की तलाश कर रहा है।