iGrain India - मुम्बई । अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में अन्य खाद्य तेलों के साथ क्रूड पाम तेल (सीपीओ) की कीमतों में भी जोरदार उछाल आने तथा सीमा शुल्क की दर में 20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होने से भारत में इसका आयात काफी महंगा बैठ रहा है। इससे न केवल रिफाइंड पाम तेल और वनस्पति (घी) के दाम में इजाफा हुआ है बल्कि सीपीओ से निर्मित कई अन्य उपभोक्ता उत्पादों के मूल्य में भी लगातार बढ़ोत्तरी होती जा रही है।
रिफाइंड पाम तेल या आरबीडी पामोलीन की कीमतों में भारी वृद्धि हो चुकी है और अब एफएमसीजी कंपनियां साबुत आदि का दाम बढ़ा रही है जिसमें सीपीओ का उपयोग किया जाता है। कुछ उपभोक्ता उत्पादों के निर्माण में सीपीओ का इस्तेमाल प्रमुख घटक या अवयव (कच्चे माल) के तौर पर किया जाता है।
पिछले तीन महीनों के दौरान सीपीओ के दाम में 45 प्रतिशत से अधिक का उछाल आ चुका है। हिंदुस्तान यूनीलीवर कम्पनी इसके प्रमुख उपयोगकर्ताओं में से एक है।
कम्पनी का कहना है कि सीपीओ का दाम अत्यन्त ऊंचा होने से त्वचा सफाई श्रेणी के उत्पादों का लागत खर्च काफी बढ़ गया है और इसलिए इसकी कीमतों को बढ़ाने के लिए कम्पनी को विवश होना पड़ रहा है। इस संवर्ग के उत्पादों का दाम लम्बे समय से स्थिर बना हुआ था मगर अब इसे बढ़ाना आवश्यक हो गया है।
पिछले साल की तुलना में अब सीपीओ का भाव 10 प्रतिशत तथा चाय का मूल्य 25 प्रतिशत ऊपर चल रहा है। एक अन्य अग्रणी कम्पनी- गोदरेज पर भी अपने उत्पादों का दाम बढ़ाने का दबाव पड़ रहा है।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 28 जून 2024 को क्रूड पाम तेल का भाव करीब 854 रुपए प्रति 10 किलो चल रहा था जो 25 अक्टूबर तक आते-आते उछलकर 1240 रुपए प्रति 10 किलो की ऊंचाई पर पहुंच गया। कंपनियों का कहना है कि सीमा शुल्क में हुई बढ़ोत्तरी से समीकरण बिगड़ गया है।
लेकिन यह अल्पकालीन घटना है और उत्पादों की कीमतों में न्याय संगत तरीके से वृद्धि करने मार्जिन की रिकवरी का प्रयास किया जाएगा। बाद में इन उत्पादों का दाम स्थिर हो जाएगा।