iGrain India - आदिलाबाद । केन्द्र सरकार की अधीनस्थ एजेंसी- भारतीय कपास निगम (सीसीआई) ने 7521 रुपए प्रति क्विंटल के न्यनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 26 अक्टूबर से किसानों से कपास (रूई) खरीदना शुरू कर दिया है। उसने कहा है कि उसी रूई की खरीद की जाएगी जिसमें नमी का अंश 8 से 12 प्रतिशत के बीच हो।
8 प्रतिशत से अधिक नमी वाली रूई की खरीद के लिए प्रत्येक 1 प्रतिशत पर समर्थन मूल्य में 75 रुपए की कटौती की जाएगी और 12 प्रतिशत से अधिक नमी वाली रूई की खरीद नहीं होगी। उधर व्यापारियों द्वारा कम नमी वाली रूई की खरीद 6700 रुपए प्रति क्विंटल की दर से की जा रही है।
26 अक्टूबर के अदिलाबाद मंडी में 543 किसानों द्वारा रूई लाई गई जिसमें से 47 उत्पादकों को सीसीआई के क्रय केन्द्रों पर अपना माल बेचने और 700 रुपए प्रति क्विंटल से ऊपर का मूल्य प्राप्त करने में सफलता मिली।
किसान अपने घर पर ही रूई सुखाकर लाए थे इसलिए उसमें नमी का अंश 12 प्रतिशत से कम था। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार अधिकांश किसानों की रूई में 12 प्रतिशत से ज्यादा नमी होने कारण उसकी खरीद नहीं की जा सकी।
किसानों का कहना है कि शीतकाल के दौरान रूई में स्वाभाविक रूप से नमी पैदा हो जाती है और सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए। किसान इसके लिए दोषी नहीं होते हैं।
नमी के अंश के मानकों का अधुनिकीकरण किए जाने की आवश्यकता है क्योंकि नीचे दाम पर रूई बेचने से कम वापसी मिलती है और किसानों को आर्थिक नुकसान होता है।
उत्पादकों की एक शिकायत यह भी है कि सीसीआई ने इस वर्ष रूई में नमी के अंश की मौजूदगी का जो आधार नियत किया है और जो उच्चतम सीमा निर्धारित की है वह विगत वर्षों से भिन्न है।
निगम को पुराने रिकॉर्ड का अध्ययन-विश्लेषण करके इसका निर्धारण करना चाहिए क्योंकि 8 से 12 प्रतिशत नमी का स्तर काफी छोटा प्रतीत होता है।
उल्लेखनीय है कि गुजरात और महाराष्ट्र के बाद तेलंगाना देश में कपास का तीसरा सबसे प्रमुख उत्पादक प्रान्त है। वहां कपास की नई फसल की तुड़ाई-तैयारी और मंडियों में आवक पहले ही शुरू हो चुकी है। सरकारी खरीद शुरू होने से पूर्व वहां रूई का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से काफी नीचे चल रहा था।