iGrain India - कोल्हापुर । महाराष्ट्र की 122 प्राइवेट चीनी मिलों की महत्वपूर्ण संस्था- वेस्ट इंडिया शुगर मिल्स एसोसिएशन (विस्मा) ने केन्द्र सरकार को आगाह किया है कि यदि चीनी के एक्स फैक्टरी न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) तथा एथनॉल के खरीद मूल्य में जल्दी से जल्दी बढ़ोत्तरी की घोषणा नहीं की गई तो उसे अपने सदस्यों (चीनी मिलों) में गन्ना की क्रशिंग प्रक्रिया में विलम्ब करने के लिए कहना पड़ेगा।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में केन्द्र स्तर पर मंत्रियों के एक समूह की बैठक हुई थी जिसमें चीनी का (एमएसपी) नहीं बढ़ाने का निर्णय लिया गया था क्योंकि इसका खुदरा बाजार भाव पहले से ही 42-43 रुपए प्रति किलो के उच्च स्तर पर चल रहा है।
सरकार को आशंका है कि एमएसपी बढ़ाने पर खुदरा मूल्य में और भी वृद्धि हो जाएगी जिससे आम उपभोक्ताओं की परेशानी बढ़ेगी। ज्ञात हो कि एमएसपी वह मूल्य है जिससे नीचे मिलर्स अपनी चीनी की बिक्री नहीं कर सकते हैं। इसे फैक्टरी गेट मूल्य भी कहा जाता है।
लेकिन विस्मा ने सरकार से क्रशिंग सीजन वास्तविक रूप से आरंभ होने से पूर्व चीनी का एमएसपी बढ़ाने की जोरदार मांग की है और इस सम्बन्ध में केन्द्र सरकार को पत्र भी भेजा है।
विस्मा के अध्यक्ष ने कहा है कि केन्द्र सरकार गन्ना के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) से पांच बार बढ़ोत्तरी कर चुकी है लेकिन पिछले पांच साल से चीनी के एमएसपी में कोई वृद्धि नहीं हुई है।
इसी तरह तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) के लिए एथनॉल के खरीद मूल्य में भी पिछले दो साल से कोई इजाफा नहीं किया गया है जबकि चीनी एवं एथनॉल का लागत खर्च काफी बढ़ चुका है।
मिलर्स को क्रशिंग के 15 दिन के अंदर गन्ना के मूल्य का भुगतान करना अनिवार्य बना दिया गया है अन्यथा मिल के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जा सकती है।
इससे बेहतर है कि चीनी मिलें गन्ना की क्रशिंग शुरू ही न करें। संस्था की सदस्य इकाइयों से कहा जाएगा कि जब तक सरकार इन दोनों मांगों को स्वीकार नहीं कर लेती तब तक गन्ना फसल की कटाई-तैयारी एवं क्रशिंग आरंभ न करें। वैसे महाराष्ट्र सरकार ने चीनी मिलों को 15 नवम्बर से गन्ना की पेराई शुरू करने की अनुमति प्रदान की है।