iGrain India - वारंगल । तेलंगाना में वारंगल जिले की एनुमालूमा थोक कृषि मंडी में पिछले सप्ताह असमंजस या दुविधा की स्थिति उत्पन्न होने से किसानों का आक्रोश बढ़ गया लेकिन तीन-चार घंटे के बाद स्थिति काफी हद तक सामान्य हो गई।
दरअसल सरकारी एजेंसी- भारतीय कपास निगम (सीसीआई) ने 12 प्रतिशत नमी की उपस्थिति तक रूई का भाव 7550 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया था जबकि प्राइवेट व्यापारी 13 से 18 प्रतिशत तक नमी के अंश वाले माल की खरीद के लिए 7000 रुपए प्रति क्विंटल के मूल्य का ऑफर दे रहे थे।
कीमतों में इस भिन्नता को देखते हुए उत्पादकों ने मंडी सचिव के कार्यालय के बाहर धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया। वे चाहते थे कि कीमतों पर स्थिति स्पष्ट की जाए और उत्पादकों को उचित मूल्य दिलाया जाए।
वे चाहते थे कि कीमतों पर स्थिति स्पष्ट की जाए और उत्पादकों को उचित मूल्य दिलाया जाए। किसान संगठन के प्रतिनिधियों के वहां पहुंचने से हंगामा और भी बढ़ गया और कई घंटों तक कारोबार बाधित रहा।
बढ़ते हंगामे को देखते हुए मंडी समिति के सचिव को हस्तक्षेप करना पड़ा। उसने कीमतों के बारे में किसानों के समक्ष पूरी तस्वीर स्पष्ट कर दी और उसके बाद किसानों ने अपना धरना-प्रदर्शन समाप्त कर दिया।
वारंगल जिले के विभिन्न भागों से किसान एनुमामूला मंडी में कपास बहकने के लिए आते हैं जो एशिया की सबसे बड़ी मंडियों में से एक है।
किसानों की शिकायत थी कि भारतीय कपास निगम की ओर से उन्हें रूई का दाम 7550 रुपए प्रति क्विंटल की दर से नहीं दिया जा रहा है जिससे उत्पादकों में नाराजगी है। सरकारी एजेंसी को अपनी घोषणा के मुताबिक कपास के दाम का भुगतान करना चाहिए।