iGrain India - मुम्बई । महारष्ट्र एवं तेलंगाना जैसे शीर्ष उत्पादक राज्यों में कपास में नमी का अंश सामान्य स्तर से अधिक होने के कारण इसकी सरकारी खरीद में बाधा पड़ रहे है जबकि प्राइवेट व्यापारी काफी नीचे दाम पर ऑफर दे रहे हैं।
इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। सरकारी एजेंसी- भारतीय कपास निगम (सीसीआई) का कहना है कि महाराष्ट्र और तेलंगाना के साथ-साथ आंध्र प्रदेश में भी रूई में नमी का अंश बहुत ऊंचा देखा जा रहा है और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर इसकी खरीद करना मुश्किल है।
वारंगल के किसानों की शिकायत है कि प्राइवेट व्यापरियों की भांति सरकारी एजेंसी भी यह कहते हुए रूई के दाम में कटौती कर देती है कि उसमें नमी का अंश बहुत ऊंचा है।
दरअसल भारी वर्षा एवं भयंकर बाढ़ की मार झेल रहे इन किसानों को काफी निराश होना पड़ रहा है। कई इलाकों में तो अक्टूबर के तीसरे सप्ताह तक बाढ़-वर्षा का प्रकोप बना रहा जिससे रूई के गोले में नमी का अंश ऊंचा ह गया। कहीं-कहीं रूई की हालत बहुत खराब हो गई।
भारतीय कपास निगम (सीसीआई) के सीएमडी का कहना है कि रूई में नमी का अंश 8 से 12 प्रतिशत के बीच होना चाहिए। यदि इससे अधिक नमी हुई तो उसे खरीदना कठिन होगा।
कुछ मामलों में तो नमी का अंश 20-25 प्रतिशत तक देखा जा रहा है। किसानों को पहले अपनी रूई को सुखाना चाहिए और तब उसे क्रय केन्द्रों पर लाना चाहिए।
त्यौहारों का सीजन होने से मंडियों में अभी तक रूई की जोरदार आपूर्ति शुरू नहीं हो पाई है लेकिन अगले सप्ताह से आवक बढ़ने की संभावना है।
28 अक्टूबर को राष्ट्रीय स्तर पर करीब 90 हजार गांठ रूई की आवक हुई जिसे मिलाकर अब तक चालू मार्केटिंग सीजन में इसकी कुल आवक 12 लाख गांठ के करीब पहुंच गई। गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना, राजस्थान, कर्नाटक, हरियाणा, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, पंजाब एवं उड़ीसा देश के प्रमुख कपास उत्पादक राज्य है।