iGrain India - जकार्ता । पिछले साल के अल नीनो मौसम चक्र के प्रभाव से इंडोनेशिया में पाम तेल का उत्पादन प्रभावित हो रहा है जबकि वहां घरेलू प्रभाग में बायोडीजल के निर्माण एवं खाद्य उद्देश्य में इसकी मांग एवं खपत बढ़ती जा रही है। इसके फलस्वरूप निर्यात उद्देश्य के लिए पाम तेल का कम स्टॉक उपलब्ध हो रहा है।
शीर्ष उद्योग-व्यापार संस्था- गापकी के आंकड़ों से पता चलता है कि देश (इंडोनेशिया) से अगस्त में 23.80 लाख टन पाम तेल उत्पादों का निर्यात हुआ था मगर सितम्बर में यह घटकर 17.90 लाख टन पर सिमट गया जो सितम्बर 2023 के शिपमेंट 22.80 लाख टन से भी काफी कम था। वैसे वहां पाम तेल के उत्पादन का पीक सीजन भी समाप्त हो रहा है।
गापकी की रिपोर्ट के मुताबिक चालू वर्ष के आरंभिक आठ महीनों में यानी जनवरी से अगस्त 2024 के दौरान इंडोनेशिया में पाम तेल का उत्पादन घटकर 345.20 लाख टन पर सिमट गया जो वर्ष 2023 के इन्हीं महीनों के शिपमेंट 362.90 लाख टन से 17.70 लाख टन कम था।
आगामी महीनों (सितम्बर-दिसम्बर) के दौरान भी उत्पादन में कमी आने की संभावना है। इंडोनेशिया में फिलहाल बी- 35 प्रोग्राम लागू है जिसके तहत बायोडीजल के निर्माण में कम से कम 35 प्रतिशत पाम तेल का उपयोग होना अनिवार्य है।
अगले साल इसे 40 प्रतिशत पर पहुंचाने की योजना है जिससे उसके घरेलू प्रभाग में पाम तेल की खपत 15-17 लाख टन बढ़कर 160 लाख टन पर पहुंच जाने का अनुमान है। इससे निर्यात प्रदर्शन पर असर पड़ेगा।
उद्योग समीक्षकों का कहना है कि यदि इंडोनेशिया से पाम तेल का निर्यात घटता है तो इसका सीधा फायदा मलेशिया को होगा जो इंडोनेशिया के बाद दुनिया में पाम तेल का दूसरा सबसे प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देश है।
भारत में इन दोनों देशों से पाम तेल का सर्वाधिक आयात होता है। पाम तेल का भाव हाल के महीनों में तेज हुआ है जो आगे भी मजबूत रहने की संभावना है। भारत में खाद्य तेलों पर आयात शुल्क 20 प्रतिशत बढ़ाया जा चुका है।