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खाद्य तेलों के आयात में 10 लाख टन की गिरावट संभव

प्रकाशित 12/11/2024, 02:17 am
खाद्य तेलों के आयात में 10 लाख टन की गिरावट संभव
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iGrain India - मुम्बई । घरेलू प्रभाग में तिलहन फसलों के बेहतर उत्पादन की संभावना को देखते हुए सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी) के कार्यकारी निदेशक ने पिछले दिनों कहा था कि 2024-25 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन (नवम्बर-अक्टूबर) के दौरान देश में खाद्य तेलों का कुल आयात घटकर 150 लाख टन के करीब रह सकता है जो 2023-24 सीजन के अनुमानित आयात 160 लाख टन तथा 2022-23 सीजन के रिकॉर्ड आयात 165 लाख टन से क्रमश: 10 लाख टन एवं 15 लाख टन कम है।

एसोसिएशन को उम्मीद है कि पिछले साल के मुकाबले इस बार तिलहनों के घरेलू उत्पादन में 30-40 लाख टन की बढ़ोत्तरी हो सकती है जिससे खाद्य तेलों का अधिक उत्पादन होगा और विदेशों से इसके आयात पर निर्भरता घट जाएगी। सोयाबीन तथा मूंगफली का उत्पादन खरीफ सीजन में तथा सरसों का उत्पादन रबी सीजन में बढ़ने के आसार हैं। 

केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने 2023-24 के मुकाबले 2024-25 के खरीफ मार्केटिंग सीजन में सोयाबीन का उत्पादन 130.62 लाख टन से करीब 3 लाख टन या 2.2 प्रतिशत बढ़कर 133.60 लाख टन तथा मूंगफली का उत्पादन 86.60 लाख टन से 17 लाख टन उछलकर 103.60 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान लगाया है।

इस तरह इन दोनों प्रमुख तिलहनों के संयुक्त उत्पादन में 20 लाख टन की बढ़ोतरी होने की संभावना है। अब रबी सीजन की सबसे प्रमुख तिलहन-सरसों की बिजाई चल रही है।

यदि क्षेत्रफल में वृद्धि हुई और मौसम की हालत अनुकूल रही तो सरसों का उत्पादन बढ़ सकता है। लेकिन अन्य दलहन फसलों से ज्यादा उम्मीद नहीं है।

भारत में कुछ तेल धारक जिंसों से भी खाद्य तेलों का अच्छा उत्पादन होता है जिसमें राइस ब्रान, बिनौला (कॉटन सीड), ऑयल पाम तथा वृक्षों एवं जंगलों से प्राप्त अवयव  शामिल हैं।

इस पूरक जिंसों से देश को अच्छी मात्रा में खाद्य तेल प्राप्त हो जाता है। देश में खाद्य तेलों का सालाना उत्पादन 127 लाख टन के करीब होता है जबकि इसकी औसत वार्षिक खपत बढ़कर 290 लाख टन से ऊपर पहुंच गई है।

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