iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के पौध संरक्षण प्रकोष्ठ ने रूस के समकक्ष निकाय को एक पत्र भेजकर भारत में मसूर के आयात से सम्बन्धित कुछ नियमों-शर्तों से अवगत करवाया है।
इसमें कहा गया है कि रूस से भारत में आयात होने वाली मसूर के लिए फायटो सैनिटरी सर्टिफिकेट में यह घोषणा अलग से शामिल करना जरुरी होगा कि मसूर के लिए फायटो सैनिटरी सर्टिफिकेट में यह घोषणा अलग से शामिल करना जरुरी होगा कि मसूर की वह खेप लेपिडियन ट्रावा (हाओरी क्रेस), ब्रोमस स्टेरिलिय (बैरेन ब्रूम) तथा डिटीलेंचस डिस्पैसी (स्टेम एंड बल्ब नेमाटोड) से पूरी तरह मुक्त है।
मसूर के आयात के लिए कुछ विशिष्ट शर्तें भी नियत की गई हैं। इसके तहत आयातित मसूर की खेप को क्वारंटाइन खर पतवार से मुक्त होना चाहिए, उसमें मिटटी एवं अन्य पौध अवयव या अवशेष का मिश्रण बिल्कुल नहीं होना चाहिए,
फॉस्फाइन (पीएच 3) से 7 दिनों तक उसमें धुआंकरण किया जाना चाहिए। यह धुआंकरण (फ्यूमिगेशन) मिथाइल ब्रोमाइड से भी किया जा सकता है।
उपरोक्त उपचारों का विवरण उस फायटो सैनिटरी सर्टिफिकेट पर उल्लखित किया जाना चाहिए जो मूल उदगम / पुनर्निर्यात वाले देश द्वारा जारी किया गया हो।
रूस के राष्ट्रीय पौध संरक्षण कार्यालय (एनपीपीओ) को सूचित किया गया है कि केवल फॉस्फाइन गैस से किए गए धुआंकरण वाली मसूर के शिपमेंट की ही अनुमति दी जाए।
इस पर आपसी सहमति पहले ही बन चुकी है। भारत में ऑस्ट्रेलिया तथा कनाडा के साथ-साथ रूस से भी मसूर का अच्छा आयात किया जाता है।