iGrain India - मुम्बई । स्वदेशी वनस्पति तेल उद्योग एवं व्यापार क्षेत्र के एक अग्रणी संगठन- सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी) ने सरसों (रेपसीड) मील का निर्यात बढ़ाने के लिए सरकार से प्रोत्साहन देने का आग्रह किया है।
केन्द्रीय कृषि मंत्री, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, खाद्य, उपभोक्ता मामले एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री तथा पशुपालन, मत्स्य पालन एवं डेयरी विकास मंत्री को भेजे पत्र में एसोसिएशन ने कहा है कि भारत लम्बे समय से सरसों-रेपसीड मील का एक महत्वपूर्ण निर्यातक देश बना हुआ है।
एसोसिएशन के मुताबिक वित्त वर्ष 2023-24 की सम्पूर्ण अवधि (अप्रैल-मार्च) के दौरान भारत से लगभग 22 लाख टन रेपसीड मील का शानदार निर्यात हुआ जिससे सरसों उत्पादकों को बेहतर आमदनी प्राप्त करने का अवसर प्राप्त हुआ। लेकिन चालू वित्त वर्ष (2024-25) के दौरान कुछ नई चुनौतियां सामने आ गईं जिससे अप्रैल-अक्टूबर 2024 के साथ महीनों में इसका निर्यात करीब 25 प्रतिशत घट गया है।
पिछले साल इन महीनों में करीब 15.10 लाख टन रेपसीड मील का निर्यात हुआ था जो इस वर्ष घटकर 11.80 लाख टन के करीब रह गया। इसका प्रमुख कारण अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय उत्पाद का भाव ऊंचा रहना था।
वैश्विक स्तर पर सोयामील की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ने से भी रेपसीड मील की मांग कमजोर पड़ गई है। सोयाबीन का वैश्विक उत्पादन 280 लाख टन की वृद्धि के साथ 42.20 करोड़ के शीर्ष स्तर पर पहुंच जाने का अनुमान है।
खाद्य उद्देश्य एवं ऊर्जा क्षेत्र में सोयाबीन तेल की बढ़ती मांग के कारण सोयाबीन की क्रशिंग में भारी इजाफा हो रहा है जिससे सोया डीओसी के उत्पादन में भी वृद्धि हो रही है। इसके फलस्वरूप सोयामील एवं रेपसीड मील सहित अन्य सभी डीओसी की कीमतों पर दबाव पड़ने लगा है।
किसानों को सरसों का आकर्षक मूल्य सुनिश्चित करने के लिए सरसों खल का निर्यात प्रदर्शन बेहतर होना आवश्यक है और सरसों खल का निर्यात सरकारी सहयोग-समर्थन एवं प्रोत्साहन के बगैर बढ़ना मुश्किल लगता है।
सरसों रबी सीजन की सबसे प्रमुख तिलहन फसल है और इसकी बिजाई भी आरंभ हो चुकी है। किसानों को बिजाई क्षेत्र बढ़ाने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए सरसों का मंडी भाव ऊंचा रहना आवश्यक है।