iGrain India - नई दिल्ली । गेहूं की आपूर्ति का ऑफ सीजन आरंभ हो चुका है और इसलिए मंडियों में इसकी सीमित आवक हो रही है। मिलर्स-प्रोसेसर्स को समुचित मात्रा में स्टॉक प्राप्त नहीं हो रहा है जबकि कीमतों में तेजी-मजबूती का रुख देखा जा रहा है।
केन्द्र सरकार अपने स्टॉक से मिलर्स को गेहूं उपलब्ध करवाने के मूड में नहीं है और न ही विदेशों से इसके शुल्क मुक्त आयात की अनुमति देना चाहती है क्योंकि उसे लगता है कि अभी बड़े-बड़े उत्पादकों एवं व्यापारियों-स्टॉकिस्टों के पास गेहूं का भारी-भरकम स्टॉक मौजूद है और वे देर-सवेर उसे खुले बाजार में अवश्य उतारेंगे। इधर गेहूं की बिजाई भी धीरे-धीरे जोर पकड़ती जा रही है इसलिए सरकार कोई अतिरिक्त जोखिम नहीं उठाना चाहती है।
केन्द्र सरकार के पास यदि गेहूं का विशाल अधिशेष स्टॉक मौजूद होता है तो वह खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत इसको बेचने का प्रयास कर सकती थी।
पिछले वित्त वर्ष के दौरान इस योजना के तहत लगभग 95 लाख टन सरकारी गेहूं बेचा गया था मगर इस बार बिक्री बंद है। स्वयं भारत ब्रांड आटा का दाम बढ़ाकर 300 रुपए प्रति 10 किलो नियत किया गया है जिससे साफ संकेत मिलता है कि सरकार स्वयं नहीं चाहती हैं कि गेहूं के दाम में ज्यादा गिरावट आए।
गेहूं का क्षेत्रफल एवं उत्पादन बढ़ाने के लिए यह आवश्यक भी है। रबी सीजन के इस सबसे महत्वपूर्ण खाद्यान्न का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी पिछले साल के 2275 रुपए प्रति क्विंटल से 150 रुपए बढ़ाकर इस बार 2425 रुपए प्रति क्विंटल नियत किया गया है।