iGrain India - नई दिल्ली । यद्यपि केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने गन्ना का बिजाई क्षेत्र गत वर्ष के 57.11 लाख हेक्टेयर से 57 हजार हेक्टेयर बढ़कर इस वर्ष 57.68 लाख हेक्टेयर पर पहुंचने का अनुमान लगाया है मगर विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं तथा कीड़ों-रोगों के प्रकोप से फसल को हुए भारी नुकसान को देखते हुए इसकी कुल पैदावार 4531.58 लाख टन से 132.28 लाख टन घटकर 4399.30 लाख टन पर सिमट जाने की संभावना व्यक्त की है। शीर्ष उद्योग संस्था- इस्मा ने उपग्रह से प्राप्त चित्र के आधार पर गन्ना का क्षेत्रफल कुछ घटने का अनुमान लगाया है।
गन्ना की पैदावार कम होने से चीनी के उत्पादन में स्वाभाविक रूप से गिरावट आएगी जबकि इस बार एथनॉल निर्माण में भी गन्ना के उपयोग को मात्रात्मक नियंत्रण से मुक्त दिया गया है।
2023-24 के सीजन में करीब 21-22 लाख टन चीनी के समतुल्य गन्ना का इस्तेमाल एथनॉल उत्पादन में किया गया था जबकि 2024-25 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) में इसकी मात्रा 40 लाख टन से ऊपर पहुंच जाने की संभावना है। इसके फलस्वरूप मानवीय खाद्य उद्देश्य के लिए शुद्ध चीनी का उत्पादन काफी घट सकता है।
सहकारी चीनी मिलों की प्रतिनिधि संस्था- नेशनल फेडरशन ऑफ को ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज के अनुसार चीनी का घरेलू उत्पादन पिछले सीजन के मुकाबले कुछ घट सकता है मगर इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति सुगम बनी रहेगी और सीजन के अंत में बकाया स्टॉक भी ऊंचा रह सकता है।
सरकार गन्ना के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में तो प्रत्येक साल बढ़ोत्तरी कर रही है जिससे चीनी का उत्पादन खर्च बढ़ता जा रहा है मगर पिछले पांच-छह साल से चीनी के एक्स फैक्टरी न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) में कोई इजाफा नहीं किया गया है और अब एथनॉल के दाम में भी वृद्धि करने की आवश्यकता है।
चीनी का घरेलू खपत 2024-25 के मार्केटिंग सीजन में 290 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान है जबकि इसके व्यापारिक निर्यात पर जून 2023 से ही प्रतिबंध लगा हुआ है। स्वदेशी उद्योग को एथनॉल से अच्छी कमाई होती है मगर इसका मूल्य बढ़ाने की जरूरत है।