iGrain India - करनाल । हालांकि विभिन्न राज्यों में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर धान की खरीद हो रही है और कस्टम मिलिंग के लिए राइस मिलर्स को इसका स्टॉक भी आवंटित किया जा रहा है लेकिन मिलर्स जब चावल की आपूर्ति शुरू करेंगे तब सरकार की परेशानी बढ़ जाएगी क्योंकि उसके पास इसके सुरक्षित भंडारण के लिए पर्याप्त संख्या में गोदाम / वेयर हाउस उपलब्ध नहीं है।
जो गोदाम हैं उसमें पहले से ही चावल का विशाल भंडार मौजूद है। सरकार ने खरीफ कालीन चावल की खरीद का लक्ष्य घटाकर 492 लाख टन नियत किया है जो गत वर्ष से 29 लाख टन कम है।
चावल (इसके समतुल्य धान) की खरीद भी गत वर्ष से करीब 11 प्रतिशत पीछे चल रही है। पिछले साल की तुलना में चालू वर्ष के दौरान 48 प्रतिशत कम चावल की खरीद 15 अक्टूबर तक दर्ज की गई थी जबकि 31 अक्टूबर तक 20 प्रतिशत एवं 15 नवम्बर तक 11 प्रतिशत कम चावल खरीदा गया।
इससे संकेत मिलता है कि चावल की खरीद में सुधार आ रहा है। पंजाब में चावल की सर्वाधिक खरीद हुई है मगर फिर भी गत वर्ष से इसका आंकड़ा छोटा है। पंजाब परम्परागत रूप से केन्द्रीय पूल में खाद्यान्न का सर्वाधिक योगदान देने वाला राज्य है।
ध्यान देने की बात है कि चालू वर्ष के दौरान किसानों से धान की सरकारी खरीद तमिलनाडु में सबसे पहले 1 सितम्बर से आरंभ हुई थी जबकि हरियाणा में 27 सितम्बर से तथा पंजाब एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 1 अक्टूबर से खरीद की प्रक्रिया शुरू हुई।
धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य सामान्य श्रेणी के लिए 2300 रुपए प्रति क्विंटल तथा 'ए' ग्रेड के लिए 2320 रुपए प्रति क्विंटल नियत किया गया है। मंडियों से खरीदे गए धान के उठाव की गति धीमी होने से किसानों को भारी कठिनाई हो रही है।
अब छत्तीसगढ़, तेलंगाना, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश तथा बिहार सहित अन्य उत्पादक प्रांतों में भी धान की कटाई आरंभ हो चकी है जिससे इसकी सरकारी खरीद आगामी सप्ताहों के दौरान निरंतर बढ़ती जाएगी।