iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय पूल में चावल का विशाल स्टॉक पहले से ही मौजूद है और गोदामों में पर्याप्त जगह मौजूद नहीं है जबकि खरीफ कालीन धान की जोरदार खरीद जारी है। कस्टम मिलिंग के लिए राइस मिलर्स को धान का स्टॉक आवंटित किया जा रहा है।
जब मिलर्स धान की मिलिंग करने के बाद कस्टम मिल्ड राइस (सीएमआर) की आपूर्ति भारतीय खाद्य निगम को करने लगेंगे तब उसके सुरक्षित भंडारण की गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है।
एक अग्रणी व्यापार विश्लेषक एवं निर्यातक के अनुसार केन्द्र सरकार को अपनी सीएमआर नीति की पुनर्समीक्षा करने की जरूरत है।
पिछले साल सफेद गैर बासमती चावल के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था ताकि घरेलू प्रभाग में इसकी आपूर्ति-उपलब्धता बढ़ाई जा सके। सरकारी स्तर पर चावल की भारी खरीद की गई जिससे गोदाम भर गए।
इससे नई समस्या उत्पन्न हो गई है। लम्बे समय तक गोदामों / वेयर हाउसों में स्टॉक जमा रहने पर चावल की क्वालिटी खराब होने लगती है।
पहले कई बार इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं जबकि ताजा उदाहरण पंजाब से नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, आसाम तथा कर्नाटक को पीडीएस में वितरण के लिए भेजा गया चावल है जिसकी क्वालिटी इतनी घटिया थी कि उसे मनुष्य के खाने के लायक नहीं माना गया।
पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के गोदामों में विशाल मात्रा में चावल का भंडार किया जाता है। इसके स्टॉक में माकूल गिरावट आने से पूर्व ही पुनः चावल की खरीद शुरू हो जाती है जिससे भंडारण का संकट स्वाभाविक रूप से बढ़ जाता है।
वर्तमान खरीफ मार्केटिंग सीजन के लिए सरकार ने यद्यपि चावल की खरीद का लक्ष्य 29 लाख टन घटाकर 492 लाख टन निर्धारित किया है मगर फिर भी इसे काफी ऊंचा माना जा रहा है क्योंकि इसके भंडारण में काफी कठिनाई हो सकती है।
अकेले पंजाब में 124 लाख टन चावल (185 लाख टन धान) की खरीद का लक्ष्य निर्धारित हुआ है। लेकिन वहां भंडारण संकट के कारण धान की खरीद की गति धीमी कर दी गई है।
पंजाब-हरियाणा के किसानों को सरकारी क्रय केन्द्रों पर अपना धान बेचने में भारी कठिनाई हो रही है। सरकार को कस्टम मिल्ड चावल की आपूर्ति के लिए समयावधि बढ़ानी चाहिए ताकि गोदामों में इसके भंडारण के लिए पर्याप्त जगह बन सके।