iGrain India - मुम्बई । एक अग्रणी उद्योग संस्था- सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी) के अध्यक्ष ने कहा है कि प्रमुख उत्पादक मंडियों में सोयाबीन का भाव घटकर न्यूनतम समर्थन मूल्य से काफी नीचे आने के कारण उत्पादकों को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है और उसमें व्याप्त असंतोष को दूर करने के लिए तत्काल एहतियाती कदम उठाने की सख्त आवश्यकता है।
यह अच्छी बात है कि सरकार ने सोयाबीन की खरीद के लिए उसमें नमी के अंश की मान्य सीमा को 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत नियत कर दिया है जिससे किसानों को कुछ राहत मिलेगी लेकिन असली राहत तभी प्राप्त होती जब सरकारी एजेंसी न्यूनतम सर्मथन मूल्य (एमएसपी) पर इसकी खरीद की गति तेज करेगी।
सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य पिछले साल के 4600 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर इस बार 4892 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है मगर थोक मंडी भाव इससे 500-600 रुपए नीचे चल रहा है। कई मंडियों में तो लूज रूप में इसका दाम घटकर 4200 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास आ गया है।
पशु आहार निर्माण में डीडीजीएम विकल्प का उपयोग तेजी से बढ़ने के कारण घरेलू प्रभाग में सोया मील की खपत प्रभावित हो रही है जबकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इसका दाम भी नरम पड़ गया है।
इसके फलस्वरूप क्रशिंग- प्रोसेसिंग इकाइयों को ऊंचे दाम पर किसानों से सोयाबीन खरीदने का समुचित प्रोत्साहन नहीं मिल रहा है।
इसे देखते हुए सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी) तथा सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) ने केन्द्र सरकार से रोडटेप दरों को ऊंचा करने, परिवहन सब्सिडी देने तथा ब्याज सबवेंशन लागू कने का जोरदार आग्रह किया है ताकि सोयामील का निर्यात तेजी से बढ़ाने और सोयाबीन उत्पादकों को लाभप्रद वापसी सुनिश्चित करने में सहायता मिल सके।
खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में हुई बढ़ोत्तरी का सोयाबीन के बाजार भाव पर कोई सकारात्मक असर नहीं पड़ा है और इसकी कीमतों में नरमी या स्थिरता का माहौल बरकरार है।
सरकार को किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कम से कम नियत लक्ष्य के अनुरूप सोयाबीन की खरीद करनी होगी सोयाबीन की खरीद का लक्ष्य इस बार 32.24 लाख टन निर्धारित किया गया है।