iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा है कि सोयाबीन एवं कपास के उत्पादकों के बैंक खाते में 5000 रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से अतिरिक्त राशि का भुगतान किया जाएगा।
इसकी प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है। मलेशिया तथा इंडोनेशिया से आयातित पाम तेल पर सीमा शुल्क भी बढ़ाकर 27.5 प्रतिशत नियत किया गया है ताकि स्वदेशी तेल मिलों को घरेलू किसानों से उचित मूल्य पर सोयाबीन की खरीद के लिए सोयाबीन में नमी के अंश का स्वीकृत स्तर 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत निर्धारित किया गया है। इन सभी उपायों से किसानों को राहत मिलने की उम्मीद है।
कृषि मंत्री ने भावान्तर भुगतान योजना के बारे में कहा कि यह एक ऐसा प्रोग्राम है जिसमें सरकार किसानों को कीमतों के अंतर की भरपाई करती है।
सरकार ने सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) इस वर्ष 4892 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। भावान्तर भुगतान योजना के तहत यदि किसान खुले बाजार में समर्थन मूल्य से नीचे दाम पर अपना उत्पाद बेचता है तो उसके अंतर का भुगतान सरकार द्वारा किया जाता है।
भावान्तर भुगतान योजना विभिन्न सरकारी स्कीमों में से एक है। यह सरकार पर निर्भर करता है कि वह सीधे न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों से उत्पाद की खरीद करती है और इसका भुगतान उसके बैंक खाते में करती है अथवा किसानों को कीमतों की भरपाई का रास्ते अपनाती है।
दूसरी स्कीम में आई पी ए आर आलू, प्याज एवं टमाटर जैसे उत्पादों के लिए मॉडल मूल्य का निर्धारण करता है और उसके उत्पादन लागत पर 50 प्रतिशत का लाभ सुनिश्चित किया जाता है। इससे किसानों को उस समय नुकसान होने से बचने में सहायता मिलती है जब उसका भाव घटकर नीचे आ जाता है।