iGrain India - हनोई । भारत सरकार द्वारा सभी किस्मों एवं श्रेणियों के साबुत चावल को पूरी तरह निर्यात नियंत्रण से मुक्त किए जाने के बावजूद वियतनामी चावल के निर्यात ऑफर मूल्य में कोई खास गिरावट नहीं आई है और यह दुनिया में सबसे ऊंचे स्तर पर बरकरार है।
इसके फलस्वरूप फिलीपींस तथा इंडोनेशिया जैसे आयातक देशों को भारत, थाईलैंड एवं पाकिस्तान जैसे देशों से चावल का आयात इंडोनेशिया जैसे आयातक देशों को भारत, थाईलैंड एवं पाकिस्तान जैसे देशों से चावल का आयात बढ़ाने का प्रोत्साहन मिल सकता है।
भारतीय चावल का निर्यात पूरी तरह खुलने के बाद वैश्विक बाजार में कीमत नरम पड़ी है। पाकिस्तान और थाईलैंड के 5 प्रतिशत टूटे चावल का निर्यात ऑफर मूल्य 5-10 प्रतिशत घटकर 457-490 डॉलर प्रति टन पर आ गया है।
हालांकि कुछ दिन पूर्व वियतनामी चावल का भाव गिरकर 500 डॉलर प्रति टन के करीब आ गया था लेकिन गत सप्ताह पुनः बढ़कर 522 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गया।
दरअसल वियतनाम में धान की कटाई-तैयारी लगभग समाप्त हो चुकी है जिससे चावल आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति जटिल होती जा रही है।
मेकांग डेल्टा के प्रमुख उत्पादक प्रान्त में पिछले महीने औसतन 1000-1500 टन चावल की खरीद हो रही थी जो अब घटकर 300/500 टन दैनिक रह गई है।
वहां चावल का दाम भी नियमित रूप से बढ़ता जा रहा है। एक खास बात यह है कि मेकांग डेल्टा में किसान अब ऊंची क्वलिटी वाले धान-चावल के उत्पादन को प्राथमिकता दे रहे हैं ताकि अन्य निर्यातक देशों की प्रतिस्पर्धा का सामना किया जा सके।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू वर्ष के शुरूआती 10 महीनों के दौरान वियतनाम से करीब 4.90 अरब डॉलर मूल्य के लगभग 78 लाख टन चावल का निर्यात हुआ जो पिछले साल से 23 प्रतिशत ज्यादा रहा।
इसका औसत इकाई निर्यात ऑफर मूल्य भी 12 प्रतिशत बढ़कर 626 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गया। फिलीपींस इसका सबसे प्रमुख खरीदार रहा जिसने 45 प्रतिशत का आयात किया। इसके बाद इंडोनेशिया ने 14.4 प्रतिशत एवं मलेशिया ने 8.5 प्रतिशत वियतनामी चावल मंगवाया।