iGrain India - जकार्ता । संसार में चावल के एक अग्रणी आयातक देश- इंडोनेशिया ने वर्ष 2025 तक चावल का घरेलू उत्पादन बढ़ाकर 320 लाख टन तक पहुंचाने का महत्वाकाक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है ताकि विदेशों से इसके आयात की आवश्यकता को खत्म किया जा सके। इंडोनेशिया के कृषि मंत्री को भरोसा है कि अगले साल से देश को चावल के आयात की जरूरत नहीं पड़ेगी।
केन्द्रीय संख्यिकी एजेंसी के आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वर्ष (2024) के दौरान इंडोनेशिया में चावल का उत्पादन घटकर 303.40 लाख टन के करीब सिमट गया जो वर्ष 2023 के उत्पादन 311 लाख टन से 2.43 प्रतिशत या 7.57 लाख टन कम है।
इधर सरकार अधीनस्थ लॉजिस्टिक कम्पनी- पेरुम बुलॉग ने कहा है कि चालू वर्ष के दौरान देश में पहले ही 29 लाख टन चावल का आयात हो चुका है जबकि आगे और भी आयात हो सकता है।
इसका मतलब यह हुआ कि अगर अगले साल घरेलू उत्पादन 320 लाख टन के नियत लक्ष्य तक पहुंचता है तब भी इंडोनेशिया में विदेशों से चावल के आयात की आवश्यकता बरकरार रहेगी।
इंडोनेशिया के राष्ट्रपति को अगले चार वर्षों में देश को खाद्यान्न उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य रखा है जबकि कृषि मंत्री अगले साल से ही चावल का आयात बंद करने का प्लान बना रहे हैं।
इंडोनेशिया में चावल के साथ-साथ विशाल मात्रा में गेहूं का भी आयात किया जाता है। इसका अधिकांश भाग ऑस्ट्रेलिया से मंगाया जाता है।
कृषि मंत्री ने जोर देकर कहा है कि यदि खाद्य क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करनी है तो आगे इसका आयात बंद करना आवश्यक है क्योंक यदि आयात लगातार जारी रहा तो इससे कुछ सवाल पैदा हो जाएंगे कि जब आत्मनिर्भरता का लक्ष्य हासिल हो गया है तो फिर विदेशों से इसका आयात क्यों किया जा रहा है।
चावल का घरेलू उत्पादन बढ़ाने के किए कृषि मंत्रालय अनेक नीतियां एवं योजनाएं लागू कर रहा है। दिलचस्प तथ्य यह है कि हाल ही में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति ने भारत से 10 लाख टन चावल मंगाने की इच्छा व्यक्त की है। यदि इस पर द्विपक्षीय करार है तो अगले साल इसकी डिलीवरी हो सकती है।