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शीतकाल में तापमान ऊंचा रहने पर गेहूं एवं सरसों की उपज दर हो सकती है प्रभावित

प्रकाशित 03/12/2024, 09:10 pm
शीतकाल में तापमान ऊंचा रहने पर गेहूं एवं सरसों की उपज दर हो सकती है प्रभावित
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iGrain India - नई दिल्ली । भारत में शीतकाल (जाड़े के महीनों) के दौरान तापमान सामान्य औसत से ऊंचा रहने का अनुमान मौसम विभाग द्वारा लगाया जा रहा है जिससे खासकर गेहूं एवं सरसों की उपज दर प्रभावित होने की आशंका है।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के एक बयान में कहा गया है कि दिसम्बर 2024 से फरवरी 2025 के बीच न्यूनतम एवं उच्चतम तापमान सामान्य औसत स्तर से ऊंचा रह सकता है और कुछ समय तक शीतलहर (कोड वेव) का प्रकोप भी रहने की संभावना है। 

रबी फसलों खासकर गेहूं, चना, मसूर एवं सरसों की अधिकांश बिजाई अक्टूबर से दिसम्बर के बीच होती जिसे प्रगति के चारण में ठंडे मौसम की जरूरत पड़ती है और परिपक्व होने के समय भी मौसम अनुकूल रहना आवश्यक है क्योंकि तभी इसकी उत्पादकता बेहतर हो सकती है।

उद्योग-व्यापार समीक्षकों का कहना है कि भारत पहले से ही दलहनों एवं खाद्य तेलों का सबसे प्रमुख आयातक देश बना हुआ है। ऐसी हालत में यदि चना एवं सरसों की उपज दर तथा पैदावार प्रभवित होती है तो आयात पर निर्भरता और भी बढ़ सकती है।

गेहूं का सरकारी स्टॉक भी सीमित है जबकि बाजार भाव ऊंचा एवं तेज चल रहा है। इसके उत्पादन में गिरावट आने का हल्का संकेत भी मिला तो कीमतों में तेजी आ सकती है। 

अभी तक भारत सरकार विदेशों से गेहूं के आयात को बंद रखने में सफल रही है और अत्यन्त ऊंचे बाजार भाव को नीचे आने के लिए अन्य तरह के उपाय कर रही है। अब खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत सरकारी गेहूं बेचने की प्रक्रिया शुरू होने वाली है। 

पिछले कुछ वर्षों के दौरान यह स्पष्ट हो गया है कि अन्य कारकों की तुलना में ऊंचा तापमान गेहूं की फसल को ज्यादा प्रभावित करता है और इससे उपज दर में कमी आ जाती है।

वर्ष 2022 तथा 2023 में गर्म एवं शुष्क मौसम की वजह से गेहूं के घरेलू उत्पादन में काफी गिरावट आ गई थी जिससे सरकारी खरीद कम हुई और केन्द्रीय पूल में इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न का स्टॉक घट गया।

सरकार ने दो साल पहले ही गेहूं तथा इसके उत्पादों के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था जो अब भी बरकरार है। निकट भविष्य में इस प्रतिबंध को हटाए जाने की संभावना नहीं है।  

पिछले सप्ताह एक समय दिल्ली में गेहूं का भाव 32,000 रुपए प्रति टन के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया था जो अप्रैल में 25,000 रुपए प्रति टन के करीब रहा था।

2023-24 सीजन के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2275 रुपए प्रति क्विंटल नियत हुआ था जिसे 2024-25 के मार्केटिंग सीजन के लिए 150 रुपए बढ़ाकर 2425 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है।

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