iGrain India - नई दिल्ली । भारत और पाकिस्तान फिलहाल चावल के वैश्विक निर्यात बाजार में एक-दूसरे के प्रमुख प्रतिद्वंदी बने हुए हैं जबकि दक्षिण-पूर्व एशिया में वियतनाम और थाईलैंड के बीच जबरदस्त प्रतिस्पर्धा देखी जा रही है।
अन्तर्रष्ट्रीय बाजार में चावल का दाम 10 प्रतिशत घटने के बाद अब दोबारा मजबूत होने लगा है। पाकिस्तान चावल का निर्यात ऑफर मूल्य भारत के सापेक्ष कुछ हद तक प्रतिस्पर्धा बना हुआ है लेकिन भारतीय निर्यात पर इसका ज्यादा असर पड़ने की आशंका नहीं है क्योंकि पाकिस्तान की क्षमता सीमित है।
भारत में नए चावल की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ने लगी है जबकि कीमतों में काफी हद तक स्थिरता देखी जा रही है। अधिकांश प्रमुख उत्पादक राज्यों में धान की नई फसल की कटाई-तैयारी या तो जोर शोर से हो रही है या अंतिम चरण में पहुंच गई है। सरकार ने भी साबुत श्रेणी के सभी चावल को निर्यात प्रतिबंधों से पूरी तरह मुक्त कर दिया है।
सेला चावल पर लगे 20 प्रतिशत के निर्यात शुल्क को हटाए जाने से इसकी प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ गई है। उम्मीद की जा रही है कि चावल का निर्यात अपना खोया हुआ बाजार पुनः हासिल कर लेगा।
जब भारत में चावल के निर्यात पर नियंत्रणों एवं शुल्कों को समाप्त करने की घोषणा हुई तब थाईलैंड और पाकिस्तान ने अपने चावल के निर्यात ऑफर मूल्य में 10-15 प्रतिशत की कटौती कर दी थी मगर जब भारतीय चावल का भाव मजबूत होने लगा तब इन देशों ने भी अपने चावल का दाम बढ़ाना शुरू कर दिया।
सुदूर पूर्व एशिया में अवस्थित देश- फिलीपींस में चावल की अच्छी मांग बनी हुई है और उसके खरीदार नई फसल के माल की खरीद में दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
पिछले सप्ताह 5 प्रतिशत टूटे सफेद चावल का निर्यात ऑफर मूल्य वियतनाम में 520-524 डॉलर प्रति टन, थाईलैंड में 516 डॉलर, पाकिस्तान में 455-459 डॉलर तथा भारत में 453-457 डॉलर प्रति टन चल रहा था।
हाल के दिनों में भारतीय चावल के निर्यात ऑफर मूल्य में 10 डॉलर प्रति टन की वृद्धि हुई जिससे यह पाकिस्तानी चावल के निकट पहुंच गया।