iGrain India - कुआलालम्पुर । मलेशिया के बागान एवं जिंस (प्लांटेशन एंड कमोडिटीज) मंत्रालय ने कहा है कि भारत सरकार द्वारा पाम तेल पर आयात शुल्क में की गई बढ़ोत्तरी मलेशिया के लिए एक अस्थायी चुनौती है जो इसके पाम तेल निर्यात की प्रतिस्पर्धी क्षमता को कुछ समय तक प्रभावित कर सकती है।
मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि पिछला अनुभव बताता है कि भारत में सीमा शुल्क की दर में होने वाले परिवर्तन आमतौर पर अस्थायी होते हैं और मलेशियाई पाम तेल के निर्यात कारोबार पर इसका महज अल्पकालीन असर पड़ता है।
दरअसल मलेशिया की संसद में एक सदस्य ने पूछा था कि भारत सरकार द्वारा पाम तेल पर आयात शुल्क में 22 प्रतिशत का इजाफा तथा इंडोनेशिया सरकार द्वारा निर्यात की दर में कटौती का निर्णय लिया गया उसका मलेशियाई पाम तेल उद्योग पर कितना असर पड़ेगा और उस समस्या से निपटने के लिए मलेशिया सरकार किस तरह की अल्पकालीन, मध्यकालीन एवं दीर्घकालीन रणनीति बना रही थी।
उल्लेखनीय है कि इंडोनेशिया के बाद मलेशिया दुनिया में पाम तेल का दूसरा सबसे प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देश है। भारत में इन दोनों देशों से पाम तेल उत्पादों का विशाल आयात होता है।
नवम्बर 2024 के दौरान यहां इंडोनेशिया से 4.83 लाख टन तथा मलेशिया से 3.14 लाख टन पाम तेल उत्पादों का आयात किया गया जिसमें क्रूड पाम तेल (सीपीओ) तथा आरबीडी पामोलीन के साथ-साथ क्रूड पाम कर्नेल तेल भी शामिल रहा।
मंत्रालय का कहना था कि भारत संसार में पाम तेल का सबसे बड़ा आयातक देश है और वहां इस महत्वपूर्ण वनस्पति तेल की मांग तथा खपत बढ़ती रहेगी क्योंकि उसकी आबादी 145 करोड़ पर पहुंच गई है।
अपनी आंतरिक जरूरत को पूरा करने के लिए भारत को मलेशिया से पाम तेल का आयात जारी रखना पड़ेगा। भारत में अब क्रूड पाम तेल पर आयात शुल्क 5.5 प्रतिशत से उछलकर 27.5 प्रतिशत तथा आरबीडी पामोलीन पर 13.75 प्रतिशत से बढ़कर 35.75 प्रतिशत पर पहुंच गया है।