iGrain India - मुम्बई । वर्तमान समय में क्रूड पाम तेल (सीपीओ) तथा आरबीडी पामोलीन दोनों का भाव बढ़कर सोयाबीन तेल एवं सूरजमुखी तेल से ऊपर पहुंच गया है जिससे खासकर भारत और चीन जैसे शीर्ष आयातक देशों की कठिनाई बढ़ गई है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार मलेशिया में भयंकर बाढ़ आने तथा इंडोनेशिया द्वारा निर्यात शुल्क बढ़ाने और बायोडीजल निर्माण में खाद्य तेल की भागीदारी बढ़ाकर 40 प्रतिशत नियत करने की योजना बनाने से पाम तेल की आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति ज्यादा जटिल होने की आशंका उत्पन्न हो गई है।
कभी पाम तेल को गरीब वर्ग का खाद्य तेल माना जाता था और राशन दुकानों के जरिए इसका वितरण किया जाता था लेकिन अब यह सबसे महंगे खाद्य तेलों की सूची में शामिल हो गया है।
अमरीकी कृषि विभाग (उस्डा) की दिसम्बर रिपोर्ट के अनुसार इंडोनेशिया- मलेशिया में मध्य नवम्बर से ही पाम तेल की कीमतों में तेजी-मजबूती का माहौल बना हुआ है जबकि अर्जेन्टीना में उम्मीद से ज्यादा सोयाबीन की क्रशिंग होने तथा सोया तेल का उत्पादन एवं निर्यात बढ़ने से इसकी कीमतों पर दबाव देखा जा रहा है।
एक अग्रणी स्वदेशी संस्था- सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी) के अनुसार वर्तमान समय में भारत में विदेशों से आयातित आरबीडी पामोलीन का भारतीय बंदरगाहों तक पहुंच का मूल्य (खर्च) सूरजमुखी तेल से 30 डॉलर प्रति टन तथा सोयाबीन तेल से 87 डॉलर प्रति टन ऊंचा चल रहा है।
इसी तरह क्रूड पाम तेल का पहुंच खर्च सूरजमुखी तेल से 65 डॉलर प्रति टन तथा सोया तेल से 122 डॉलर प्रति टन ऊंचा बैठ रहा है। इसके बावजूद भारत में नवम्बर 2024 के दौरान 2 लाख टन से अधिक रिफाइंड पामोलीन का आयात किया गया।
दरअसल दोनों शीर्ष उत्पादक एवं निर्यातक देशों- इंडोनेशिया तथा मलेशिया में पाम तेल का भाव ऊंचा और तेज चल रहा है जिससे आयातक देशों में खर्च बढ़ गया है।
भारत में सोया तेल तथा सूरजमुखी तेल के साथ-साथ पाम तेल पर भी आयात शुल्क में 22 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। उधर इंडोनेशिया में बायोडीजल निर्माण में पाम तेल की विशाल मात्रा का उपयोग होने लगा है।