iGrain India - नई दिल्ली । पहले दाल-दलहन, चावल, चीनी तथा कुछ मसाले खाद्य महंगाई के प्रमुख कारक बने हुआ थे मगर अब इसकी कीमतों में काफी हद तक स्थिरता या नरमी आ गई है। इसके बावजूद खाद्य महंगाई का स्तर ऊंचा है क्योंकि गेहूं तथा इसके मूल्य संवर्धित उत्पादों के साथ-साथ खाद्य तेलों का भाव ऊंचा हो गया है।
गेहूं के निर्यात पर लम्बे समय से प्रतिबंध लगा हुआ है लेकिन कीमतों में तेजी-मजबूती का माहौल बरकरार है। दरअसल इसका न केवल स्टॉक सीमित है बल्कि अगली फसल के उत्पादन में भी अनिश्चितता बनी हुई है।
उधर वैश्विक बाजार में खासकर पाम तेल का भाव काफी ऊंचे स्तर पर चल रहा है और इंडोनेशिया में बायोडीजल के निर्माण में इसकी विशाल मात्रा का उपयोग होने लगा है। भारत में क्रूड एवं रिफाइंड श्रेणी के खाद्य तेलों पर आयात शुल्क की दर में 22 प्रतिशत बिंदु की भारी बढ़ोत्तरी कर दी गई है।
अक्टूबर 2024 में खुदरा खाद्य महंगाई की दर 10.87 प्रतिशत दर्ज की गई थी जो नवम्बर में कुछ घटकर 9.04 प्रतिशत रह गई लेकिन फिर भी काफी ऊंची मानी जा सकती है। खाद्य तेलों में महंगाई की दर अक्टूबर में उछलकर 42.23 प्रतिशत पर पहुंच गई थी और नवम्बर में भी यह 29.33 प्रतिशत रही।
समझा जाता है कि शीतकालीन सीजन की आपूर्ति बढ़ने से खाद्य तेलों के दाम में आगे और नरमी आ सकती है। निर्यातक देशों में सोयाबीन तेल एवं सूरजमुखी तेल का भाव नरम पड़ गया है। ब्राजील में सोयाबीन का रिकॉर्ड उत्पादन होने वाला है।
दिल्ली की नजफगढ़ मंडी में गेहूं का थोक भाव बढ़कर फिलहाल 2900-2950 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गया है जो गत वर्ष की समान अवधि में 2450-2500 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा था।
वार्षिक आहार पर उपभोक्ता मूल्य में महंगाई दर नवम्बर में आटा में 7.88 प्रतिशत तथा मैदा में 7.72 प्रतिशत दर्ज की गई। वनस्पति तेलों में महंगाई दर और भी ऊंची यानी 13.28 प्रतिशत पर पहुंच गई।
उपभोक्ता मामले विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि पैकिंग युक्त पाम तेल का अखिल भारतीय स्तर पर मॉडल मूल्य पिछले साल के 95 रुपए से उछलकर अब 143 रुपए प्रति किलो,
सोयाबीन तेल का मूल्य 110 रुपए से बढ़कर 154 रुपए प्रति किलो तथा सूरजमुखी तेल का मॉडल मूल्य 115 रुपए से बढ़कर 159 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गया है। सरसों तेल का दाम भी 135 रुपए से उछलकर 176 रुपए प्रति किलो हो गया है। मॉडल मूल्य पर ही सर्वाधिक कारोबार होता है।