iGrain India - जलगांव । बेहतर उत्पादन, मंडियों में अच्छी आवक, मिलर्स- प्रोसेसर्स की सीमित मांग तथा सरकारी एजेंसी की धीमी खरीद के कारण महाराष्ट्र की मंडियों में सोयाबीन की कीमतों पर दबाव बना हुआ है और मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक तथा तेलंगाना में भी इसका भाव सरकारी समर्थन मूल्य से काफी नीचे चल रहा है।
ब्राजील में रिकॉर्ड तथा अर्जेन्टीना में शानदार उत्पादन होने की उम्मीद से सोयाबीन का वैश्विक बाजार मूल्य नरम बना हुआ है। अमरीकी सोयाबीन के उत्पादन में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है जिससे तिलहन-तेल बाजार नरमी या स्थिरता की गिरफ्त में है।
महाराष्ट्र में किसानों से 6000 रुपए प्रति क्विंटल की दर से सोयाबीन खरीदने का वादा किया गया था। अब वहां नई सरकार का गठन हो चुका है और मंत्रिमंडल का विस्तार भी हो गया है। देखना है कि राज्य सरकार अपने वादे पर कब से अमल करती है।
केन्द्र सरकार ने इस बार सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 4600 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 4892 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है जबकि इसका मंडी भाव 4200-4300 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है।
इससे किसानों में भारी असंतोष है। सोयाबीन का स्टॉक बेचने के लिए किसानों को विवश होना पड़ रहा है क्योंकि रबी फसलों की बिजाई के लिए उसे धन की जरूरत है। विदेशों से सस्ते सोयाबीन तेल के विशाल आयात से मिलर्स भी परेशान हैं।