iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार की अधीनस्थ एजेंसियों द्वारा 2023-24 के रबी मार्केटिंग सीजन में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 2.75 लाख किसानों से 4820 करोड़ रूपए मूल्य के 6.41 लाख टन दलहनों की खरीद की गई जिसमें 3.48 लाख टन मूंग, 2.49 लाख टन मसूर तथा 23 हजार टन चना की खरीद शामिल है। इसी तरह 5.29 लाख किसानों से 6900 करोड़ रुपए मूल्य के 12.19 लाख टन तिलहन (मुख्यत: सरसों) की खरीद भी की गई।
वर्तमान खरीफ मार्केटिंग सीजन के आरंभ से सोयाबीन का थोक मंडी भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से काफी नीचे चल रहा है जिससे किसानों को भारी परेशानी हो रही है। इसे देखते हुए सरकार को पीएसएस योजना के तहत बाजार में हस्तक्षेप करना पड़ा।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 11 दिसम्बर 2024 तक सरकारी एजेंसी द्वारा 2700 करोड़ रुपए मूल्य के 5.62 लाख टन सोयाबीन की खरीद की गई जिससे 2,42,461 किसानों को फायदा हुआ। यह सोयाबीन की अब तक की सबसे बड़ी खरीद मानी जा रही है। इससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि सरकार किसानों की भलाई के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
वर्ष 2018-19 से अब तक की खरीद पर नजर डालने से पता चलता है कि इस अवधि में कुल मिलाकर 195.39 लाख टन दलहन, तिलहन एवं कोपरा खरीदा गया।
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर इसकी कुल कीमत 1,07,433.73 करोड़ रुपए रही और इससे 99,30,576 किसानों को लाभ हुआ। सरकार का यह अभियान खासकर छोटे एवं सीमांत किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हुआ। सरकारी स्तर पर दलहन-तिलहन की खरीद अभी जारी है।
सरकार ने सोयाबीन तथा मूंगफली एवं तुवर तथा उड़द की विशाल मात्रा की खरीद करने की स्वीकृति प्रदान की है मगर उसकी तुलना में वास्तविक खरीद अभी बहुत पीछे है।
सोयाबीन का दाम मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र एवं राजस्थान सहित अन्य उत्पादक प्रांतों में समर्थन मूल्य से बहुत नीचे है इसलिए एजेंसियों को लम्बे समय तक इसकी खरीद जारी रखने की आवश्यकता पड़ेगी।